Thursday 2 January 2014

नया महाभारत

धर्म केे मानसपटल पर चलती कहानी

फिल्म : महाभारत
निर्माता : जयंतीलाल गदा, कुाल गदा, धवल गदा
निर्देशक : अमान खान
अभिनय : अमिताभ बच्चन, सन्नी देओल, जैकी श्रॉफ, अनिल कपूर, मनोज वाजपेयी, अजय देवगन, अनुपम खेर, विद्या वालन
संगीत : राजेन्द्र

अवधि : 125 मिनट

रेटिंग : 3. 1/2 स्टार



 वेद व्यास द्बारा लिखित महाभारत एक पौराणिक ग्रंथ है,जिसे 5वां वेद भी कहा जाता है। लगभग तीन दाक पहले बी आर चौपड़ा ने जब छोटे पर्दे के लिए महाभारत सीरियल बनाया था, तब इसे देखने के लिए लोग बेसब्री से इंतजार करते थे, यहां तक कि सारी सड़कें वीरान नजर आती थीं। सदियों पहले की महाभारत की कहानी को निर्देाक अमान खान ने बड़ी कुालता पूर्वक दिखाया है। क्योंकि 18 दिनों तक चलने वाली इस लड़ाई को मात्र 125 मिनट में समेटना एक चुनौती भरा काम है।
 इस फिल्म की सबसे अच्छी बात यह है कि यह बच्चों को ध्यान में रखकर तो बनाई ही गई है लेकिन बड़े भी इसे बड़े चाव से देखेंगे। पिछले दिनो आई फिल्में-कृा3, धूम3 स्टंट फिल्में थी लेकिन यह एक माइथोलॉजिकल फिल्म है जो हर किसी को कुछ न कुछ संदेा अवय देती है।

कहानी

 वैसे तो हम सभी महाभारत की कथा से परिचित हैं लेकिन इस फिल्म की शुरूआत होती है दो बच्चे एक सिक्के के लिए झगड़ा करते हैं। तभी एक आदमी आता है और उनको समझाता है कि ईष्याã-द्बेष से कुछ नहीं होता बल्कि विनाा ही होता है। वह उनको कहानी सुनाता है। कहानी बैकग्राउंड में जाती है और आरंभ होती है महाभारत की कथा। कैसे भीष्म पितामह हस्तिनापुर के सिंहासन की रक्षा करने की प्रतिज्ञा लेते हैं। कैसे पांडु पुत्र युधिष्टर का सिंहासन पर बैठना दुर्योधन को अच्छा नहीं लगता और इस आग में घी डालने का काम करते हैं मामा शकुनि। पांडवों और कौरवों के अपने-अपने अहं है। बीच में पिसती है द्रोपदी। 18 दिनों तक चलने वाले इस युद्घ में कृष्ण अर्जुन को सत्य और न्याय के इस धर्मयुद्घ में आगे बढèने और अपने कत्र्तव्य पालन का उपदेा देते हैं।

 अभिनय

 चूंकि यह भारत की सबसे मंहगी मल्टी स्टारर थ्रीडी एनीमेटेड फिल्म है, जिसमें भीष्म पितामह के किरदार को आवाज दी है अमिताभ बच्चन ने। इसी तरह अजय देवगन ;अर्जुनद्घ, मनोज वाजपेयी ;युधिष्टरद्घ, सनी देओल ;भीमद्घ, जैकी श्रॉफ ;दुर्योधनद्घ,अनुपम खेर ;शकुनिद्घ और विद्या वालन ;द्रौपदीद्घ के किरदारों को अपनी-अपनी आवाज ही नहीं देते हैं बल्कि इन किरदारों को निभाते भी हैं। बड़ी बात यह भी है कि यह कोई कार्टून फिल्म नहीं लगती बल्कि असली कहानी लगती है। एक साथ इतने सारे कलाकारों ने किसी एक ही फिल्म में अपनी आवाज अभी तक संभवत: नहीं दी है, इसलिए भी उन सबको एक मंच पर लाना भी निर्देाक के लिए कम मुकिल भरा नहीं होगा।

गीत-संगीत

 इस फिल्म का बैकग्रांउड संगीत काफी प्रभावित करता है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि यह एक साफ-सुथरी, रोचक और मनोरंजक प्रधान फिल्म है।





 

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