Saturday 11 January 2014

कॉलेज की प्रेमकहानी

कॉलेज के धरातल पर उछलती नए जमाने की प्रेमकहानी

                                                     साधना अग्रवाल/रिजवान खान


मूवी : यारियां

प्रोड्यूसर : भूषण कुमार, कृष्ण कुमार

डाइरेक्टर : दिव्या खोसला कुमार

कास्ट : हिमांशु कोहली, सेराह सिंह, देव शर्मा, रकुल प्रीत सिंह, एवलिन शर्मा, गुलान ग्रोवर, दीप्ति नवल

म्यूजिक : प्रीतम, मिथुन, हनी सिंह, अनुपम अमोद

लिरिक्स : इरशाद कामिल, अमिताभ भट्टाचार्य, मिथुन, हनी सिंह

मूवी ड्यूरेशन : 145 मिनट

रेटिंग : 2 स्टार

 इन दिनों फिल्म इंडस्ट्री पर फीमेल आर्टिस्ट का जलवा छाया हुआ। हो भी क्यूं न आखिर उनका भी हक बनता है, और उनमें टैलेंट है तो इसमें कोई शक नहीं की वो किसी से पीछे रहें। इसी कड़ी में म्यूजिक इंडस्ट्री के फेमस सितारे भूषण कुमार की पत्नी दिव्या खोसला कुमार ने डाइरेक्शन में हाथ आजमाने की काबिले-तारीफ कोशिश की है। उनकी पहली फिल्म 'यारियां’ देश के तमाम सिंगल थिएटर्स और मल्टीप्लेक्स में कब्जा किए हुए है। दिव्या ने अपनी इस फिल्म में सभी नए किरदारों को लिया है। निर्देशक और कलाकारों के लिए यह पहली फिल्म है। जैसा कि इसके नाम से पता चलता है कि यह फे्रंडशिप पर आधारित फिल्म है। हालांकि इस तरह की पहले भी कई फिल्में आ चुकी हैं। लेकिन यह अन्य फिल्मों की अपेक्षा समथिंग डिफरेंट है।

कहानी

 इसकी कहानी सिक्किम के एक बोर्डिंग कॉलेज में पढèने वाले पांच दोस्तों की यारियां को सामने लाती है। चूंकि कॉलेज लाइफ जिंदगी की सबसे मजेदार लाइफ होती है। दोस्ती और प्यार के बीच जिंदगी इन्हें हर दिन कुछ न कुछ सिखाती है। कालेज के पिं्रसिपल यानी गुलान ग्रोवर अपने कालेज को टूटने से बचाने के लिए इन बिगड़ैल चार दोस्तों को चुनते हैं ताकि ये आस्ट्रेलिया के स्टूडेंटस के साथ कॉम्पटीशन में हिस्सा लें। इन चारों की मदद के लिए सलोनी के यानी रकुल प्रीत भी इनके ग्रुप में शामिल होती है। लक्ष्य यानी हिमांशु कोहली, नील यानी देव शर्मा, जैनी यानी सेराह सिंह और जेनेट यानी एवलिन शर्मा और सलोनी आस्टेàलिया जाते हैं और वहां मुकाबला करते हैं लेकिन पहले दौर में आस्टेàलिया के स्टूडेंट आगे हो जाते हैं। इस दौरान लक्ष्य अपने बचपन के दोस्त देवू को भी खो देता है। आगे का मुकाबला भारत में होता है, जहां लक्ष्य अंतिम मुकाबला जीत कर अपने कालेज को बचा लेता है। बीच में लक्ष्य और सलोनी के प्यार को दर्शाया गया है। लक्ष्य जिसे पहले समझ नहीं पाता लेकिन बाद में उसे प्यार का अहसास होता है। यह फिल्म अलग-अलग किरदारों,उनके रिश्तों, दोस्तों की समस्याएं, मौजमस्ती और उनकी गलतियों के बारे में है। यह उनके अच्छे और बुरे समय की यारियां की कहानी है।

अभिनय

 इस फिल्म के सभी किरदार नए हैं लेकिन उन्होंने अपने अभिनय से यह साबित कर दिया है कि पहली फिल्म में भी शानदार ढंग एक्टिंग की जा सकती है। फिल्म के नायक हिमांशु कोहली ने अपने किरदार को अच्छे तरीके से निभाया है। वहीं रकुल भी ठीक लगी हैं। जबकि सहकलाकारों ने भी उम्दा प्रदर्शन की कोशिश की है।

गीत-संगीत

 इस फिल्म को बेहतरीन बनाने में इसके गीत-संगीत का बहुत बड़èा योगदान है क्योंकि इसके सभी गाने बहुत अच्छे हैं। अल्लाह वारियां टूटी यारियां गाना सूफी और पारंपरिक का मिश्रण है। वहीं 'पानी-पानी’ और 'पाजामा पार्टी’ आज के युवा वर्ग की पार्टियों के हिसाब से बिल्कुल फिट बैठता है। 'मेरी मां’ गाना मां को समर्पित उम्दा गाना है जो सीधे दिल को छूता है। इस दर्द-ए-दिल की सिफारिश अब कर दे कोई यहां/मिल जाए इसे वो बारिश जो भिगा दे पूरी तरह युवा वर्ग में खासा पसंद किया जा रहा है। मुझे इश्क से रहना था दूर प्यार की मुश्किलों को बयां करता है। अपने गीत-संगीत की वजह से भी यह एक बढिèया फिल्म कही जा सकती है।
 इस फिल्म में निर्देशक ने आस्टेàलिया में भारतीय स्टूडेंट के साथ हो रहे बुरे व्यवहार को भी दिखाने की कोशिश की है। यारियां युवाओं के हर पहले कदम की कहानी है - पहला प्यार, पहली दोस्ती, पहली चुनौती, पहला गुस्सा आदि। इस फिल्म में जहां एक ओर सिक्किम की खूबसूरती को दिखाया गया है वहीं मोटर साइकिल रेस और साइकिल रेस के दृश्य भी अच्छे लगे हैं।




3 comments:

  1. पर, इंडिया टुडे के एक समीक्षक ने तो इस फ़िल्म को बकवास करार दिया है और ट्रेड पंडितों के मुताबिक तो यह डब्बा हो गई है?

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    1. sahi kaha janab......galti sudharne ki koshish kr raha hu...

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    2. Rijwan Bahut accha likne lage ho.
      Tum apne dard ko bhi kahani me baya karne lage yahi sacche Lekhak Ki shredi m tumhe ek din khada kar degi. wo din jald aaye

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