Sunday 23 March 2014

प्यार...शहीदे आजम का


उसे बंदूक से प्यार था
उसमें भरे तांबे के छर्रों से प्यार था
कट्टे के ठट्ठे से प्यार था
उसकी वफा पे एतबार था

अहले वतन से प्यार था
हरियाले खेतों-सूखे खलिहानों से प्यार था
सोंधी मिट्टी से दुलार था
स्कूल की छुट्टी से प्यार था

उसे इज्जत से प्यार था
सितारे हिंद से करार था
उसे गैरोंे से प्यार था
अपनों से दिलेबहार था

उसे अमन की खुशबू से प्यार था
उड़ते खयालों से प्यार था
उसे हर उस शख्स से प्यार था
जिसमें अमन की बिसात थी

उसे उससे प्यार था
जिससे लोग डरते थे
कांपते-भागते थे, थरथराते थे
उसे तो देश पे मिटने का शौक था

उस शहीदे आजम को
मेरा सलाम जिसे
खुद की मौत से कम
हमारी जिंदगी से ज्यादा प्यार था

 

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