Friday 2 September 2016

चारदीवारी में कैद की गईं प्राचीन मूर्तियां







ललितपुरः चारदीवारी में कैद की गईं प्राचीन मूर्तियां
ललितपुर के देवगढ़ में दशावतार मं‌दिर में प्रतिमा।

उत्तर प्रदेश की सीमा पर बसा ललितपुर जनपद यूं तो छोटा है। लेकिन अपने नाम की तरह ही यह अपने अंदर अथाह खूबसूरती समेटे है। यहां प्राकृतिक सुंदरता सितंबर में खिलकर पहाड़ों, नदियों, जंगलों के रूप में झांकने लगती है। यहां आने वाले सैलानियों के मन में इस तरह घर कर लेती है कि वे यहां से जाना नहीं चाहते। लेकिन इसके उलट यहां कई सैकड़ा प्राचीन मूर्तियों का दीदार सैलानियों को नहीं मिलता। दरअसल इन ऐतिहासिक धरोहरों को कमरों में बंद कर ताला जड़ दिया गया है। पुरातत्व विभाग की संरक्षित इमारत में 134 प्राचीन मूर्तियां धूल खा रही हैं। अधिकांश समय पुरातत्व विभाग की इमारत में ताला लगा रहता है। इस कारण पर्यटकों को इन मूर्तियों की सही जानकारी भी नहीं मिल पा रही है।


पुरातात्विक धरोहरों से समृद्ध जनपद के देवगढ़ में चंदेल कालीन प्राचीन मूर्तियां, गुफाएं, दूधई की नृसिंह भगवान की प्राचीन मूर्ति, कुुचदों का शंकरजी का मंदिर, चांदपुर-जहाजपुर के शिवमंदिर, तालबेहट, बानपुर और बालाबेहट का प्राचीन किला, देवगढ़ के छठी शताब्दी के विश्व प्रसिद्ध उत्कीर्ण भगवान विष्णु, नरनारायणी दशावतार मंदिर, जैन तीर्थ क्षेत्र, शिव मंदिर, बार का मकबरा ऐसी धरोहर हैं, जिनकी कलाकृति पर्यटकों को लुभाने के लिए काफी है। प्रदेश के मुख्यमंत्री भी प्राचीन पुरातात्विक धरोहरों के विकास और उनके संरक्षण के लिए जिला स्तरीय अधिकारियों की समिति गठित कर चुके हैं, जिसमें जिलाधिकारी को मुख्य पदाधिकारी बनाया गया है। 27 सितंबर को प्रदेश में विश्व पर्यटन दिवस जोरशोर से मनाने की तैयारियां भी की जा रही हैं, लेकिन जनपद में करोड़ों रुपए की लागत से नेहरू नगर में बना पुरातत्व विभाग उपेक्षित है।
संग्रहालय में कुचदों की भगवान विष्णु की प्राचीन मूर्ति, नंदीश्वर भगवान की प्राचीन पत्थर की त्रिमूर्ति, भगवान बुध की प्राचीन प्रतिमा, भगवान विष्णु की कई रूपों की प्राचीन मूर्तियों समेत 134 प्राचीन मूर्तियां संरक्षण के लिए रखी गई हैं। लेकिन यह सभी मूर्तियां संग्रहालय प्रशासन की उदासीनता के चलते उपेक्षा का शिकार हैं। संग्रहालय में वर्षों से सफाई तक नहीं हुई है, जिससे यहां संरक्षण के लिए रखी गईं सभी 134 मूर्तियां धूल खा रही हैं। मूर्ति स्थलों पर एक इंच मोटी धूल की परत जम गई है। दीवारों व मूर्तियों पर मकड़जाल लग गया है। दीमक भी लग चुका है।

अमर उजाला के स्‍थानीय संवाददाता शैलेश्‍ा गाौतम बताते हैं ‌कि यहां अधिकारियों के बैठने के लिए कार्यालय तो हैं, लेकिन अधिकारी महीने, दो महीनों में एक- दो चक्कर ही लगाते हैं। इमारत की देखभाल के लिए होमगार्ड जवानों की तैनाती की गई है। नियमानुसार संग्रहालय की सुरक्षा में एक होमगार्ड की ड्यूटी दिन में और दो होमगार्डों की ड्यूटी रात में होनी चाहिए। लेकिन, संग्रहालय की सुरक्षा में तैनात यह गार्ड हमेशा गायब रहते हैं। 


झांसी प‌रिक्षेत्र के सहायक पुरातत्व अधिकारी सुरेश कुमार दुबे बताते हैं कि पुरातत्व संग्रहालय की स्थिति काफी दयनीय है, इसके सुधार व पुख्ता रखरखाव के लिए लखनऊ स्थित कार्यालय में आलाधिकारियों को प्रस्ताव अप्रैल में भेजा गया था। कई रिमाइंड भेजे जा चुके हैं, लेकिन बजट के अभाव में स्थिति में सुधार नहीं हो रहा है। संग्रहालय की सुरक्षा जांचने के लिए औचक निरीक्षण किया जाएगा।


खाली हाथ लौटते सैलानी
संग्रहालय घूमने आने वाले पर्यटकों को यहां निराशा ही मिलती है। आए दिन संग्रहालय बंद रहता है। मुख्य दरवाजे पर अंदर से ताला जड़ा रहता है, जिससे यहां आने वाले पर्यटकों को बिना घूमे ही वापस लौटना होता है।

बिजली, पानी कुछ नहीं
करोड़ों की लागत से बनाए गए संग्रहालय में बिजली व्यवस्था के लिए कहने को तो अलग से ट्रांसफार्मर रखवाकर बिजली कनेक्शन किया गया है, पानी केे लिए बोर करवाकर मोटर भी रखवायी गई है। लेकिन यहां व्यवस्थाएं चौपट हैं। संग्रहालय के बाहर एक मात्र सौ वाट का बल्ब जरूर जलता है जिससे पता चलता है कि यह संग्रहालय है। संग्रहालय के अंदर और बाहर, गार्ड रूम में भी बिजली की कोई व्यवस्था नहीं है, जिससे यहां हमेशा अंधकार पसरा रहता है। वहीं पानी की मोटर वर्षों से खराब पड़ी है, शौचालय भी बंद रहते हैं, जो पर्यटकों की सुविधा के लिए बनाए गए थे।

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