Friday 15 September 2017

बकरीद की छुट्टी

बकरीद की छुट्टी
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तुम्हें उदास नहीं देखना चाहता
पर क्या करूं इत्तिला तो करनी ही है

मन में विचार कौंध रहे हैं
पर काबू नहीं कर पा रहा

अभी अभी मेल पर तार मिला है
पर लिखा पढ़कर भी सच नहीं मान पा रहा

दफ्तर की डेस्क पर हूं, मन उदास हो चूका है
पर संयम बनाये रखने की कवायद जारी है

कंप्यूटर के कीबोर्ड पर हाथ फर्राटा भरते हैं
पर मोबाइल पर आज उंगलियां जड़ हैं

जनता हूं जज़्बातों की जंग जीत नहीं पाउंगा
पर तुम्हें लिख रहा हूं ये खत, उदास मत होना

बकरीद की छुट्टी कैंसिल हो गई है
पर वादा रहा जल्दी आऊंगा।।

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