Tuesday 20 August 2013
Saturday 17 August 2013
Thursday 8 August 2013
इक हसीन मुलाकात
फिल्म 'रब्बा मैं क्या करु की नायिका ताहिरा कोचर से खास बातचीत:
सबसे पहले अपने बारे में बताएं?
-मैं दिल्ली की ही रहने वाली हूं। मेरी शिक्षा दिल्ली में ही हुई। ब्रिटिश स्कूल से स्कूली पढ़ाई की। बिजनेस पीआर और एडवरटाइंिजग में डिप्लोमा हासिल किया। स्कूल की पढ़ाई पूरी होने के बाद मॉडलिंग करनी शुरू कर दी थी। मैं 'फेमिना मिस इंडिया 2०1०’ की टॉप 2० फाइनालिस्टों मंे थी। पर अभिनय करना तो मेरा बचपन का सपना रहा है। माधुरी दीक्षित मेरी आदर्श हैं। अब फिल्म 'रब्बा मैं क्या करूं’ में अभिनय करने से मेरा बचपन का सपना पूरा हुआ है।
फिल्म''रब्बा मैं क्या करूं’’में अभिनय करने का मौका कैसे मिला?
-'फेमिना मिस इंडिया 2०1०’की टॉप 2० फाइनलिस्ट चुने जाने के बाद से मेरे पास फिल्मों के ऑफर आने लगे थे। पर मैं अपनी पढ़ाई में व्यस्त थी। इसलिए मैंने उन ऑफर पर ध्यान नहीं दिया। मेरे पास दो तीन बार फिल्म 'रब्बा मैं क्या करूं’ के सहायक निर्देशक का भी फोन आया, पर मंैने उन्हें मना कर दिया था। क्योंकि उस वक्त मेरा पूरा ध्यान पढ़ाई पर था। लेकिन एक दिन फिल्म के निर्देशक अमृत सागर खुद दिल्ली आए। उन्होंने मुझे फोन किया। पता नहीं क्यों मैं उनको मना नहीं कर पायी और मैं ऑडीशन देने पहुंच गयी। यह ऑडीशन दिल्ली मंे ही हुआ था और मुझे फिल्म 'रब्बा मैं क्या करुं ’ की नायिका बना दिया गया।
अभिनय की कोई ट्रेनिंग ली?
-नहीं, शूटिंग से पहले सिर्फ दस दिन का वर्कशॉप किया। स्कूल दिनांे में डांस व अभिनय करती रही हूं।
फिल्म के अपने पात्र को लेकर क्या कहेंगी?
-मैंने इसमें भावुक लड़की ·ेहा मल्होत्रा का पात्र निभाया है, जो कि साहिल की बचपन की पे्रमिका है। उसके óिए रिश्ते बहुत मायने रखते हैं।
लेकिन अभिनय कैरियर की शुरूआत नवोदित अभिनेता आकाश चोपड़ा के साथ करते हुए रिस्क नहीं लगा?
-कैसी रिस्क इस फिल्म में आकाश चोपड़ा के अलावा अरशद वारसी, राज बब्बर, परेश रावó, शक्ति कपूर जैसे महारथी कलाकार हैं। पहली ही फिल्म में इतने महारथी कलाकारों के साथ काम करना बहुत बड़ी अहमियत रखता है। मुझे इन सभी कलाकारों से बहुत कुछ सीखने को मिला।
फिल्म में काम करने के अनुभव कैसे रहे?
-ईमानदारी की बात है कि मेरे अनुभव बहुत अच्छे रहे। सेट पर मैं सबसे छोटी थी। सभी कलाकारों ने मेरा हौसला बढ़ाया। मुझे सलाह दी, मुझे राह दिखायी। फिल्म के निर्देशक अमृत सागर के साथ काम करते हुए मैंने बहुत कुछ सीखा। मैं तो पिछले दो साल से इस फिल्म के साथ जुड़ी हुई हूं। निजी स्तर पर अब मुझे लगता है कि मैं कितनी मैच्योर हो गयी हूं। मैंने काम, प्रोफेशनलिजम, अनुशासन सब कुछ सीख लिया है। वैसे तो आर्मी की बैकग्राउंड होने की वजह से मेरी परवरिश बहुत अनुशासित ढंग से हुई है। पर फिल्म की शूटिंग के दौरान मैंने बहुत कुछ सीखा। फिल्म 'रब्बा मैं क्या करूं’ करते हुए मैंने 'पैशन’ रखना सीखा।
भविष्य की योजना ?
-अभिनय ही करना है। कुछ फिल्मों के आफर हैं, मगर मुझे ' रब्बा क्या करुं ’ के प्रदर्शन का इंतजार है। अब मुझे हर हाल में सफल अभिनेत्री बनना ही बनना है।
एक स्वप्नपरी का साछात्कार
किरदार पर निर्भर करती है केमेस्ट्री: सोनम कपूर
क्या 'रांझणा’ में एक स्कूली लड़की का रोल निभाना मुश्किल रहा?
यह मुश्किल तो नहीं था पर मैं इस रोल को लेकर थोड़ी नर्वस थी। जब हम बनारस में शूटिंग कर रहे थे तो करीब दो हजार लोग शूटिंग देखने के लिए जमा हो गए थे। इस रोल में मैंने स्कूली लड़की की ड्रेस पहनी थी और दो चोटियां बनाई थीं, और सेट के आसपास बहुत सारे लोगों को देखकर मेरा नर्वस होना स्वाभाविक था।
क्या कम उम्र का नजर आने के लिए आपने कोई खास तैयारी की?
खुशकिस्मती से मैं बिना मेकअप के स्कूली लड़की ही नजर आती हूं। इस मामले में मैं अपने डैडी की तरह हूं। मैं इतना जरूर कहूंगी कि शूटिंग के वो 15-2० दिन मेरे लिए बहुत यादगार रहे।
क्या आपने इस रोल की तैयारी के लिए जया बच्चन की फिल्म 'गुXी’ को देखा था?
हां--स्कूल गर्ल के पार्ट के लिए मैंने ऐसा किया था। मुझे वो सीन बहुत पसंद आया जब गुXी स्कूल प्रेयर के लिए देर से पहुंचती है और स्कूल टीचर उसे सजा देती हैं और वे मिलेजुले भाव व्यक्त करती हैं। नटखटपन और मासूमियत का यह मेल बहुत अच्छा था।
आपको अपने स्कूल के दिन भी जरूर याद आए होंगे। आपका स्कूली जीवन कैसा था?
हमारा स्कूल दूसरे स्कूलों जैसा ही था। मेरा स्कूल ऐसा ही था जैसा इस फिल्म में मेरे कैरेक्टर जोया का है।
कोस्टार धनुष के साथ आपकी केमिस्ट्री के बड़े चर्चे हैं।
यह अच्छी बात तो है लेकिन इससे डर भी लगता है। अच्छी केमिस्ट्री इस बात पर निर्भर करती है कि आपके किरदार कैसे हैं। हमारी केमिस्ट्री इतनी अच्छी नहीं होती अगर हम लोग अलग-अलग निर्देशकों के साथ काम करते। शाहिद कपूर और करीना कपूर को ही ले लीजिए, उन्होंने कई फिल्मों में काम किया है, लेकिन फि ल्म 'जब वी मेट’ में उनकी केमस्ट्री कमाल की है। इसका श्रेय निर्देशक इम्तियाज अली को जाता है।
केमिस्ट्री अपनी एक्टिंग के जरिए भी कायम की जा सकती है।
केमिस्ट्री के बारे मंे कुछ नहीं कहा जा सकता। अभिषेक बच्चन के साथ मुझे 'दिल्ली 6’ में तो पसंद किया गया लेकिन 'प्लेयर्स’ मंे यह बात काम नहीं आई।
आपने एक ऐसी अभिनेत्री की छवि बना ली है जो डिफरेंट रोल करना चाहती है, भले ही वो कॉमर्शियल एंगल से उतने कामयाब नहीं हों। क्या यह बात सही है?
मेरे जीवन में कॉमर्शियल रेशियो के लिए कोई जगह नहीं है। मैं अलग-अलग रोल करना चाहती हूं। यह अच्छा है कि मैं अभी टाइपकास्ट नहीं हूं। फिल्मकार मुझे अलग-अलग रोल दे रहे हैं। आनंद राय सर ने भी जोया के रोल के लिए किसी और के नाम पर विचार नहीं किया।
लेकिन ऐसी भी चर्चा रही कि आप इस फिल्म के लिए उनकी पहली पसंद नहीं थीं?
यह सही नहीं है। दूसरी अभिनेत्री की पीआर मशीनरी इस तरह की बातें फैला रही हैं। मैं इस रोल के लिए शुरू से ही पहली पसंद थी। मैं जिस फिल्म के लिए ना कह देती हूं कभी उसकी चर्चा नहीं करती। मैं इस बारे में कोई चर्चा नहीं करती क्योंकि मैं अपने निर्देशक, निर्माता और साथी कलाकारों का सम्मान करती हूं।
क्या आपको 'प्लेयर्स, थैंकयू, मौसम’ जैसी फिल्में करने का अफसोस है?
मुझे किसी बात का अफसोस नहीं है। मुझे तो लगता है कि मौसम को अच्छा रिस्पांस मिला है। मेरा मानना रहा है कि मुझे ऐसी फिल्में करनी चाहिए जो मुझे अच्छी लगती हैं, न कि ऐसी फिल्में जिन्हें लोग पसंद करते हैं। आपकी फिल्म चले या नहीं चले पर यह जरूरी है कि आपको लोग याद रखें। मैं ऐसी फिल्मांे के साथ-साथ कॉमर्शियल फिल्में भी करना चाहती हूं।
तो आप दोनों तरह के सिनेमा का हिस्सा बनना चाहती हैं?
दोनों तरह के सिनेमा का हिस्सा बनना कोई आसान नहीं है। थोड़ा और अनुभव हो जाए तो मैं दोनों तरह की फिल्में कर सकती हूं।
'आयशा’ के बाद अभय देओल के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?
अभय बहुत अच्छे दोस्त हैं। वे कुछ मामलांे में मेरे डैडी से सहमत नहीं हैं, लेकिन मेरे साथ ऐसा नहीं है। मुझे पता है कि उनके जीवन में क्या चल रहा है। इसी तरह उन्हें मेरे बारे में सब कुछ पता है। अगर मुझे उनके साथ कोई दिक्कत होती तो मैं उनके साथ काम नहीं कर पाती। मैं इस मामले में एकदम ईमानदार हूं।
क्या इस रोल के लिए आपने अपनी पर्सनल लव लाइफ से भी कुछ प्रेरणा ली है?
अभी तक तो मेरी लव लाइफ नाकाम ही रही है। लेकिन हम लोग ऐसे ही होते हैं जो पूरे जीवन में सब लोगों को प्यार बांटते चलते हैं। फिल्म में ऐसे ही जज्बात दिखाए गए हैं।
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