Saturday 9 November 2013

दीपावली के उपलक्ष्य पर


पिछली बार की तरह इस बार भी
झालरों के बीच से चेहरा चमकेगा
अकेले ही
दूजा कोई है नहीं न
इस भरे शहर में
लोगों की भीड़ तो ज्यादा है यहां
पर दिलों की भीड़ पर कफ्र्यू सा लगा हुआ है
कोशिश में हूं दीप जलाने की
पता नहीं झालर चमकना कब बंद जाए


Monday 4 November 2013

अवाज के जादूगर


एक समय ऐसा समय था जब पूरे देश में रेडियो का चलन था। हमेशा से रेडियो का आम इंसान की जिदगी में एक अहम स्थान था, और सेलिब्रेटी भी रेडियो से बड़े शौक से जुड़ते थे। फिर वह समय भी आया जब टीवी और इंटरनेट ने अपनी-अपनी पहचान बना ली। घरों में रेडियो की जगह टेलीविजन ने ले ली और रेडियो की लोकप्रियता घटने लगी।

रोमांचकारी कार्य

हर क्ष्ोत्र में एक समय ऐसा आता है जिसमें उसके प्रति बदलाव का नया दौर चलता है और उसमें नई -नई चीजों का जुड़ाव व अलगाव होता है, ठीक बिल्कुल ऐसा ही हुआ रेडियो इंडस्ट्री में भी हुआ। एफएम रेडियो के आगमन के साथ ही रेडियो में भी क्रांति आई। एफएम रेडियो ने लोगों की बदलती पसंद को जाना और पुराने ढररे के संगीत को बदलकर नये संगीत को नये तरीके से लोगों के सामने पेश किया। एफएम रेडियो में रेडियो जॉकी ने अपनी अलग और प्रभावी पहचान बनाई।
एक आरजे को लाइव प्रोग्राम के दौरान श्रोताओं से उनकी रुचि के अनुरूप बातें करनी होती हैं और उनकी पसंद का गीत भी सुनाना होता है। इसके अलावा सेलिब्रेटी से इंटरव्यू, नए कॉन्टेस्ट और म्यूजिक इंफोर्मेशन जैसी चीजें भी आरजे के कार्यों में प्रमुखता से शामिल होती है।

संगीत के साथ संभावनाओं का सागर

देश में 1०० से भी ज्यादा प्राइवेट एफएम रेडियो स्टेशन मौजूद हैं जबकि आने वाले समय भारत सरकार ने 5० से भी ज्यादा नये एफएम स्टेशंस व कम्यूनिटी रेडियो को चालू करने की योजना बनाई है, जोकि इस क्ष्ोत्र में अपार संभावनाओं के दरवाजे खुलने को तैयार हैं। आज स्थिति यह है कि मल्टीनेशनल कंपनी, बड़ी इंडस्ट्री से लेकर छोटे उद्योग भी एफएम रेडियो को अपने प्रचार का मुख्य जरिया माने जा रहे हैं। एफएम रेडियो के क्षेत्र में यह केवल शुरुआत है और इसमें अपार संभावनाएं हैं। संगीत में रुचि रखने वालों के लिए आरजे बनने के रास्ते खुले हैं।

 

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