Thursday 27 February 2014

नदियां

धरती की नसें हैं नदियां


हमेशा से ही कहा और माना जाता रहा है कि जल ही जीवन है और जल के बिना जीवन जीना बेहद मुश्किल है। दुनियाभर में जल का प्रमुख श्रोत या तो समुद्र हैं या फिर नदियां। नदियां मानव जीवन और पर्यावरण को संरक्षित करने में सहायक साबित होती हैं। मगर अफसोस अब नदियों का जलस्तर मनुष्य की गलतियों की वजह से निरंतर घटता जा रहा है कई नदियों का तो अस्तित्व भी खतरे में है। आइए जानते हैं दुनियाभर की कुछ सबसे विशाल और लंबी नदियों के बारे में।

नील नदी

दुनिया की सबसे लंबी नदी का खिताब इसी को मिला है। यह पूर्वी अफ्रीका से उत्तर और फिर मेडिटेरियन तक 6,65० किलोमीटर के दायरे में फैली हुई है। नील की दो बड़ी सहायक नदियां हैं- व्हाइट नील और ब्लू नील। मिस्र की प्राचीन सभ्यता के विकास में नील नदी की बहुत बड़ी भूमिका मानी जाती है। नील नदी को इसीलिए 'मिस्र का वरदान’ भी कहा जाता है।

अमेजन

करीब 6,4०० किलोमीटर लंबी अमेजन नील नदी के बाद दुनिया की दूसरी सबसे लंबी नदी है। यह नील से थोड़ी-सी छोटी है। हालांकि विशेषज्ञ दोनों नदियों की ठीक-ठीक लंबाई से सहमत नहीं। हां, इतना निश्चित है कि पानी की अधिकता से यह दुनिया की सबसे लंबी नदी है। अटलांटिक महासागर में गिरने से पहले अमेजन और इसकी सहायक नदियां पेरू, बोल्विया, वेनेजुएला, कोलंबिया, इक्वाडोर और ब्राजील से गुजरती हैं। अमेजन नदी में मछलियों की 3,००० से ज्यादा प्रजातियां पायी जाती हैं।
यांग्त्सीक्यांग
यह चीन की सबसे लंबी और दुनिया की तीसरी सबसे लंबी नदी है। यह करीब 6,3०० किलोमीटर लंबी है। विश्ोषज्ञों के अनुसार इसका उद्गम तिब्बती पठार के पूर्वी हिस्से में स्थित ग्लेशियर हैं। यांग्तजी नदी पर बनाया गया बांध 'थ्री गोज्रेज डैम’ दुनिया का सबसे बड़ा हाइड्रो-इलेक्ट्रिक पावर स्टेशन है। यह नदी दुनिया का सबसे व्यस्त जलमार्ग भी मानी जाती है।

डैन्यूब

यह यूरोप की सबसे महत्वपूर्ण नदियों में से एक है। यह इस महाद्बीप की वोल्गा नदी के बाद दूसरी सबसे लंबी नदी है। यह नदी लंबे समय तक रोमन साम्राज्य की प्रहरी रही। आज यह 1० यूरोपीय देशों की सीमा बनाती है। यह जर्मनी के ब्लैक फॉरेस्ट से निकलती है और 2,85० किलोमीटर के सफर के बाद ब्लैक सी में मिलती है।

गंगा

गंगा हमारे देश की सबसे पवित्र नदी मानी जाती है। पुराणों में इस नदी को देवी का स्थान दिया गया है, भारत में इसकी पूजा की जाती है। गंगा का उद्गम स्थल पश्चिमी हिमालय माने जाते हैं। यह 2,51० किलोमीटर लंबी है। यह नदी पश्चिम बंगाल के सुंदरवन डेल्टा में गिरती है। इसके हुगली नदी के नाम से भी जाना जाता है। गंगा का प्राचीन काल से ही धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व रहा है। गंगा के महत्व को देखते ही इसे 'राष्ट्रीय नदी’ घोषित किया गया है।


मेकांग

यह दुनिया की 12वीं सबसे लंबी नदी है जिसकी लंबाई 435० किलोमीटर है। तिब्बत के पठार से निकली यह नदी चीन के युयान प्रांत से होती हुई म्यांमार, लाओस, कंबोडिया और थाईलैंड से होकर गुजरती है। विश्ोषज्ञों के मुताबिक इस नदी में सबसे खतरनाक और जहरीले सांप पाए जाते है।

जांबेजी

अफ्रीका में यह चौथी सबसे लंबी नदी है जिसकी लंबाई 3,45० किलोमीटर है. यह नदी उत्तर-पश्चिम जांबिया के वेटलैंड से निकलती है और अंगोला से होती हुई नामीबिया, बोत्सवाना, जांबिया, जिंबांब्वे और मोजांबिक होती हुई हिद महासागर में मिलती है। माना जाता है कि साल में दो बार इस नदी के पानी का स्वाद बदलता है। जांबेजी नदी की शानदार विशेषता विक्टोरिया प्रपात है।

वोल्गा

यह यूरोप की सबसे लंबी और रूस की सबसे महत्वपूर्ण नदियों में से एक है। रूस के सबसे बड़े 2० शहरों में से 11 वोल्गा के ड्रेनेज बेसिन में स्थित हैं, जिनमें राजधानी मास्को भी शामिल है। यह मात्र 225 मीटर की ऊंचाई पर वाल्दे हिल्स से निकलती है और 3,645 किलोमीटर लंबा सफर तय करते हुए कैस्पियन सागर में गिरती है।

मिसीसिपी

करीब 3,73० किलोमीटर लंबी मिसीसिपी अमेरिका और उत्तरी अमेरिका की सबसे लंबी नदी है। यह इतास्का नामक झील से निकलती है और मैक्सिको की खाड़ी में खत्म होती है। इसके जल की धारा काफी तेज और ठंडी होती है।

सेपिक

यह न्यू गिनी आइसलैंड की सबसे लंबी नदी है। इसका उद्गम पापुआ न्यू गिनी के पहाड़ों में है। अन्य बड़ी नदियों की तरह इसका कोई डेल्टा नहीं है और यह सीधे समुद्र की तरफ बहती है। इस नदी की कुल लंबाई 1,128 किलोमीटर है।



 

Tuesday 25 February 2014

समयचक्र

वक्त का पहिया

रुक जाओ कहां जा रहे हो तुम

तुम्हें फिक्र नहीं पीछे चल रहे

इस विषैले वातावरण की

जिसमें तुम घुलने वाले हो

बात को समझो

समझ गए तो वा..वा

नहीं तो जा..जा

यही होगा बाद में


जहां तुम जा रहे हो शायद वहां

तुम्हें वो न मिल पाए

जिसे तुमने छोड़ दिया था

गवां दिया था

बर्बाद कर दिया था

उस मौजपन में

जब वह तुम्हारे पास था


अब वह कहां मिलने वाला

क्योंकि वह तो कब का गुजर चुका है

वह वापस नहीं लौटता

यही तो सब कहते हैं

उसके जाने के बाद

बिदा होने के बाद


इसलिए तुम वापस लौट आओ

मान भी जाओ

कम से कम

अब जो तुम्हारे पास है

उसे तो मत गंवाओ

पछतावा होगा

माथा पीटोगे

जब पता चलेगा कि

वो तो समय था

और समय कभी वापस नहीं लौटता.......!!


 

 

Wednesday 12 February 2014

आखिरी किस्त.....(अ लव स्टोरी)

इंतजार कॉफी का

पार्ट टू

.................................उस दिन फिर किसी काम में तबियत न लगी विजेंद्र की। कब दिन के सारे काम खत्म किए, कब खाना खाया, कब रात के कपड़े बदले और कब बिस्तर में समा गया। वक्त का हिसाग-किताब बाकी दिनों की तरह अब उसके पास न था।

अब उसे कमरे की से झूलता सालों पुराना पंखा नया-नया लग रहा था, बातों की जगह खामोशी सुकून देने लगी थी, बिस्तर भी बड़ा आरामदेह लग रहा था। प्लास्टिक का अधभरा जग भरा-भरा व उसका पानी अनायस ही जुबान को मीठा लगने लगा था। टूटी खिड़की के परदे दिलकश व सुकून भरे महसूस हो रहेथ्ो।
आज से पहले इससे ज्यादा खूबसूरत उसे उसका घर कभी नहीं लगा था। सिर्फ एक। हां सिर्फ एक झलक इस सबका कारण थी।
और आज पूरे डेढ़ साल हो चुके हैं उस घटना को। लेकिन मामला जस का तस बना हुआ है। वह उसके बारे में सोचता रहता है। उसे रमा हंसमुख आर मिलनसार दिखती है। और उसे उसमें ढेर-ढेर खूबियां नजर आती हैं। वह उसे नजर भर देखना चाहता है, बस देखते रहना चाहता है, उसे छूना चाहता है, उसका स्पर्श पाना चाहता है। वह उसे बताना चाहता है कि वह उसे कितना प्यार करता है और कितनी बार दिल केअरमां शब्दों की शक्ल लेकर कागज पर उतरे, कांटेक्ट नं. भी लिखा, यहां तक कि इमेल एड्रेस भी लिखा देने के लिए। मगर हर बार उस कागज को फाड़ देता, फिर लिखता और फिर फाड़ता।


पर जब वह विजेंद्र के सामने होती तब वह हड़बड़ा जाता और व्यस्त होने का या यूं कहें उसको न जानने का ढोंग करने लगता। लेकिन जब वह उसके सामने से हट जाती तब अफसोस करता और खुद पर झल्लाता। उसे दूर से ही देर तक अपलक ताकता रहता। लेकिन सच्चाई यही है कि वह रमा से बेपनाह मुहब्बत करता है। वह उसे जताना चाहता है कि उसे जानना चाहिए कि वह उसे क्यूं हमेशा पागलों की तरह ताकता रहता है। और शायद रमा भी ऐसा ही कुछ महसूस करती है या शायद नहीं भी।
मैने विजेंद्र को कई बार समझाया कि वह रमा से बात करे, अपने दिल का हाल कह सुनाए। यहां तक कि उसे डर या संकोच लगे तो मैं उससे उसके बारे में बात करने की कोशिश कर सकता हूं। लेकिन अफ सोस पता नहीं उसे किस बात का डर है। शायद उसे खो देने का। पर जब अभी तक कुछ पाया ही नहीं तो फिर खोने का डर कैसा? अब उसकी समझ में यह बात आ जाए तो बात की बात न बन जाए। लेकिन अगर इसी तरह देवदास बना रहा तो बिना कुछ पाए ही सगकुकछ खोने का दर्द जरूर दिल के दस्तरख्वानों में महसूस करेगा।
मेरे समझाने के तरीके ने असर दिखा दिया था। लेकिन ये क्या ? उसने रमा से बात तो नहीं कि उल्टे पापा से डिक्कस कर बैठा कि वह रमा को पसंद करता है और उसे कॉफी पिलाने ले जाना चाहता है। उससे शादी की बात करना चाहता है, लेकिन लाख चाहकर भी वह उससे कैफैटेरिया चलने को पूछ नहीं पाया। क्योंकि उसे डर कि कहीं वह मना न कर दे।
जवाब में पापा ने समझाते हुए कहा था। बेटा किसी से प्यार करना अच्छी बात है उसे जाकर बता देना और भी अच्छी बात है लेकिन बिना उसे जाने, बिना उससे पूछे किसी निर्णय तक पहुंचना बिल्कुल भी अच्छी बात नहीं। अगर तुम जैसा तुम समझते हो वैसा है तो एकपल भी गंवाए बिना उससे पूछो कि वह तुम्हारे बारे में क्या सोचती है और यह निर्णय उसे ही तय करने दो।
और आज हम दोनो यानी मैं और विजेंद्र, कॉलेज गेट के कुछ पहले ही, चिलचिलाती धूप में इस कंक्रीट की रोड पर उसके आने का और कैफेटेरिया की कॉफी शॉप के ओपेन हो जाने को इंतजार कर रहे हैं।
बारिश अभी-अभी बरस कर थमी है। फिर पता नहीं धूप शरीर को इतना जला क्यूं रही है, सूर्य इतना तेज और गर्म क्यूं लग रहा है। आसपास मौजूद पेड़ों ने शायद अनिश्चित भविष्य के डर को भांप कर अपने पंखों को सिकोड़ लिया है। हवा का रुख और मिजाज कुछ समझ नहीं आ रहा है। और सामने हमेशा व्यस्त रहने वाली जीटी रोड आज कुछ ज्यादा ही शांत दिख रही है। वक्त तो जैसे थम सा गया हो महसूस हो रहा है
मौसम हमारे पक्ष में या विपक्ष में , ये तो आने वाला वक्त में ही पता चलेगा।
इंतजार......इंतजार होगा या लख्तेजिगर का दीदार।


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साथियो यह प्रेमकहानी मैने अपने कॉलेज के बेफिक्री भरे दिनों में लिखी थी। इसका ऑडियो वर्जन कॉलेज में काफी पॉपुलर हो चुका है और अब बारी है रिटेन वर्जन की। इसलिए बिना किसी तामझाम के इसे शेयर कर रहा हूं।

नोट- 

यह प्रेमकहानी सच्ची घटना पर आधारित है और इसके पात्र व लोकेशन काल्पनिक न होकर पूरी तरह सत्य हैं।

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