Sunday 30 June 2013

गाड़ी बुला रही है, सीटी बजा रही है



 
 

ऑटोमोबाइल : वाहनो में है सफल जिंदगी


रिजवान खान

माडर्न होते समाज में लोगों की जिंदगी भी माडर्न हो चुकी है, और भागमभाग भी बढ़ चुकी है, जिस कारण लोगों के पास समय की कमी हो रही है। इस भाग-दौड़ भरी जिदगी में मोटर वाहन लगभग हर व्यक्ति के लिए जरूरी हो चुका है। ऐसे में लोग माडर्न वाहनों का प्रयोग करना चाहते हैं। लोगों की वाहनों के प्रति बढ़ती दीवानगी ने ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग के क्ष्ोत्र को काफी हद तक पहले से ज्यादा मजबूत और विस्तृत बना दिया है। वाहनो की बढ़ती डिमांड ने इनके मेंटीनेंस, साइज, रख-रखाव, कलर व डिजाइंस के प्रति लोगों को संजीदा कर दिया है। जिस कारण इस प्रोफेशन में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है, और ऐसे प्रोफेशनल्स मांग भी, जो इससे जुड़े कार्यों को सही ढंग से पूरा कर सकें और जरूरी डायरेक्शन कार्य को संजीदगी से अंजाम दे सकें। इस काम को अंजाम देने वाले प्रोफेशनल्स ऑटोमोबाइल इंजीनियर कहलाते हंै।
अवसर हैं अपार
देश में बढ़ रहे वाहनों के कारण आज बाजार में ऑटोमोबाइल इंजीनियरों के लिए रोजगार के उजले अवसर उपलब्ध हैं। इस समय भारत दुनिया भर में अपने टू एवं थ्री व फोर व्हीलर्स समेत हैवी व्हीकल्स की उच्च गुणवत्ता की वजह से नं. वन की श्रेणी में आंका जाता है। भारतीय युवाओं में दोपहिया वाहनो का क्रेज हद से ज्यादा है इस कारण यहां बाइक्स के नये-नये माडल्स की डिमांड में तेजी आई है। पिछले एक दशक में भारत ने इस क्ष्ोत्र में रिकार्ड प्रगति की है। इस दौरान दुनिया की सबसे सस्ती कार नैनो को सफलता पूर्वक बनाने और उसकी रिकार्ड बिक्री से भारत ने इस क्ष्ोत्र में अपना परचम लहराया है। इस प्रोफेशन में लगातार हो रही बड़ोत्तरी ने इस क्ष्ोत्र में करिअर के नये अवसर युवाओं को उपल्ब्ध कराए हैं। देश में लगातार ग्रोथ कर रही इस इंडस्ट्री ने ऑटोमोबाइल की दुनिया को विस्तृत कर दिया है, आज युवा इस क्ष्ोत्र में सफलता की नई इबारत लिख रहे हैं।
फैला है दायरा
भारत स्पोर्ट यूटीलिटी व्हीकल्स के निर्यात के मामले में दुनिया का केंद्ग बिंदु बन रहा है, कम लागत के कारण सस्ते वाहनो को तैयार करने की वजह से यहां के वाहनो का निर्यात यूरोप, साउथ अफ्रीका, साउथईस्ट एशिया में करता है। भारत की छोटी कारें यूरोप में निर्यात की जाती हैं। आटोमोबाइल इंडस्ट्री की ग्रोथ के मामले में भारत आज अन्य देशों की तुलना में बड़ा निर्यातक बन चुका है। डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्रियल पॉलिसी एंड प्रमोशन के अनुसार भारतीय आटोमोबाइल इंडस्ट्री ने वर्ष 2००० से वर्ष 2०13 तक चार पर्सेंट की ग्रोथ कर ली है। और आने वाले पांच वर्षों में भारतीय छोटे व हल्के वाहनो के बाजार में लगभग 18 पर्सेंट की ग्रोथ हो सकती है।
इस समय विदेशी ऑटोमोबाइल कंपनियां भारत में अपने प्लांट लगा रही हैं, जो कि इस क्ष्ोत्र में युवाओं के लिए रोजगार के नये रास्ते खोल रही हैं, हालांकि इस क्ष्ोत्र में भारतीय कंपनियां टाटा मोटर्स, अशोक लीलैंड, मारूति, महिंद्रा एंड महिंद्रा भी नित नये प्रयोग कर ऑटोमोबाइल से जुड़े युवाओं को नये अवसर उपल्ब्ध करा रही हैं। इंडस्ट्री की ग्रोथ को देखकर साफतौर से कहा जा सकता है, कि इस प्राफेशन में करिअर की अपार संभावनाएं मौजूद हैं।
कार्यक्ष्ोत्र
ऑटोमोबाइल के क्षेत्र में कंप्टीशन अब पहले से काफी बढ़ गया है। इसलिए यह क्ष्ोत्र बहुत ही चुनौतीपूर्ण बन चुका है। कार या फिर अन्य किसी वाहन को डिजाइन करना इंजीनियर्स के लिए एक सपने की उड़ान की तरह है। इनको डिजाइंस करते समय वाहनों के फीचर्स पर काफी ध्यान देना होता है, और कस्टमर्स की पसंद का ख्याल भी रखना पड़ता है। इनके कार्यक्ष्ोत्र में व्हीकल्स की स्पीड, स्टाइल, कलर, फ्यूल सिस्टम समेत अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं को बेहतर करना होता है। आमतौर पर एक सफल ऑटोमोबाइल इंजीनियर ही कार या किसी अन्य वाहन के नए डिजाइन को डेवलप करने का कार्य करते हैं।
प्रवेश योग्यता व संस्थान
यदि आपकी इच्छा ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग में करिअर सवांरने की है, तो आप निसंदेह ऑटोमोबाइल इंजीनियरिग के कोर्स में एडमिशन ले सकते हैं। ऑटोमोबाईल इंजीनियरिंग में डिग्री के साथ-साथ डिप्लोमा कोर्सेस भी संस्थानों द्बारा संचालित किए जा रहे हैं। जहां ऑटोमोबाइल इंजीनियरिग के डिग्री कोर्स में बारहवीं गणित विषयों से पास छात्र दाखिला ले सकते हैं। वहीं तीन वर्षीय डिप्लोमा पाठ्यक्रम के लिए छात्रों को दसवीं पास होना जरूरी है। लगभग सभी संस्थानों में इन कोर्सों में एडमीशन के लिए प्रवेश परीक्षा भी आयोजित की जाती है।
बीटेक या बीई में बारहवीं (पीसीएम) के बाद आईआईटी-जेईई या एआईईईई क्वालिफाई करके एडमिशन लिया जा सकता है। आईआईटी, दिल्ली से इंडस्ट्रियल डिजाइनिग में मास्टर डिग्री (दो वर्षीय) हासिल कर सकते हैं। आईआईटी, कानपुर भी इंडस्ट्रियल डिजाइनिग में दो वर्षीय मास्टर डिग्री कोर्स करवाती है। इसके अलावा, इंडस्ट्रियल डिजाइन सेंटर, आईआईटी-मुंबई से इंडस्ट्रियल डिजाइनिग में मास्टर डिग्री (दो वर्षीय) प्राप्त कर सकते हैं। आईआईटी गुवाहाटी से बीटेक इन ऑटोमोबाइल डिजाइनिग के चार वर्षीय पाठ्यक्रम में प्रवेश ले सकते हैं। आप चाहें, तो प्राइवेट इंजीनियरिग इंस्टीट्यूट से भी ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग के कोर्स में दाखिला ले सकते हैं। जबकि महाराष्ट्र इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन ऑटोमोटिव डिजाइन (पीजीडीएडी) कोर्स में एडमिशन लिया जा सकता है।

Saturday 29 June 2013

मुसीबत में साथी




 आपदा प्रबंधन में करिअर



पूरे संसार में छोटी-बड़ी आपदाएं आती रहती हैं, और इनमें जान-माल की बड़े पैमाने पर नुकसान भी होता है। उत्तराखंड की स्थित खुद इस बात को बयां कर रही है। इनमें प्राकृतिक आपदाएं जैसे बाढ़, सूखा, भूस्खलन, समुद्री तूफान आदि शामिल हैं। जाहिर है, इस प्रकार की विपदाओं को कम से कम सामना करना पड़े और समस्या की स्थिति में नुकसान को कम करने एवं पीड़ित लोगों की मदद कैसे की जाए, इस बारे में समस्त देशों की सरकारें और स्वयं सेवी संगठन काफी गंभीरता से रणनीतियां तैयार करने में लगे हुए हैं।
कार्यक्ष्ोत्र
डिजास्टर मैनेजमेंट या आपदा प्रबंधन के कार्यक्षेत्र में सिर्फ आपदा के बाद के पुनर्निर्माण के कामकाज को संभालना या पीड़ित व्यक्तियों की मदद करना भर नहीं होता है बल्कि आपदा की पहले से ही सूचना देने की स्थिति का विकास और होने वाले नुकसान को कम करने व आपदा को टालने के विकास में योजना बनाने का कार्य भी शामिल होता है।
प्रवेश योग्यता
इस क्ष्ोत्र में करिअर बनाने के लिए प्रोफेशनल्स को कठिन परिस्थितियों में तैयार रहने के अलावा मुश्किल हालात में जुझारू प्रवत्ति का होना जरूरी है। इस क्ष्ोत्र में प्रवेश के लिए श्ौक्षिक योग्यता बारहवीं है लेकिन अगर आप ग्रेजुएट हैं तब भी आपके पास करिअर सवांरने अपार अवसर उपलब्ध हैं। इस प्रोफे शन के अलावा शायद ही समाज कल्याण के साथ आत्मसंतुष्टि और करियर ग्राफ को भी साथ-साथ आसमान की ऊंचाइयों तक पहुंचाने का मौका कोई और क्षेत्र दे पाए। देश में ही सरकारी एवं प्राइवेट सेक्टर के संस्थान अस्तित्व में आ गए हैं। इनमें सर्टिफिकेट से लेकर एमबीए स्तर तक के कोर्स उपलब्ध हैं।
जरूरी है पूरी जानकारी
अक्सर युवा इस प्रोफेशन को अपना तो लेते, लेकिन इसके चुनौतीपूर्ण व कठिन कार्यश्ौली में खुद को फिट नहीं कर पाते, और इस प्रोफेशन से पीछा छुड़ाने लगते हैं। इसलिए इस प्रोफेशन को अपनाने से पहले इस प्राफेशन से संपूर्ण जानकारी कर लेना बेहद महत्वपूर्ण है। इस क्ष्ोत्र के प्रोफेशनल्स लोगों की जिंदगी को बचाते हैं इसके लिए उन्हें खुद की जान जोखिम में डालनी पड़ती है। क्षतिग्रस्त या पीड़ित लोगों की पुर्नस्थापना तथा लोगों के जीवन को दुबारा सामान्य स्तर पर पहुंचाने के लिए प्रोफेशनल्स से अपेक्षाएं भी की जाती हैं। तो देखा जाए तो यह कार्यक्षेत्र चुनौतियों के साथ-साथ संवेदनात्मक पहलुओं को भी खुद में समेटे हुए है।
संभावनाओं का सागर
अगर आपकी रूचि लोगों को सहायता पहुंचाने में है, उनकी मदद करने में है, इसके लिए आप किसी भी हद तक जा सकते हैं। तो निश्चित ही यह प्रोफेशन आपके करिअर के लिए बेहतर साबित होगा। इस प्रोफेशन के तहत आपको प्रबंधन के सारे कार्यकलापों से अवगत कराया जाता है। इसके अलावा आपको समाज कल्याण के हित में संपूर्ण संवेदनाओं के साथ जानकारी मुहैया कराई जाती है। इसीलिए जरूरी है कि ऐसे ही युवा इस दिशा में करिअर निर्माण की पहल करने के बारे में सोचें जो मानवीय संवेदनाओं को समझते हों, और समाज हित में कार्य करने का जज्बा हो।
सरकार कर रही सहयोग
भारत जैसे विकासशील देशों में अक्सर ऐसे छोटे-बड़े हादसे तथा अन्य प्राकृतिक आपदाओं से विभिन्न क्षेत्रों के लोगों को गुजरना पड़ता है। यही कारण है कि देश में आपदा प्रबंधन का एक अलग से प्राधिकरण केंद्र सरकार के स्तर पर विकसित किया गया है और इसी की शाखाएं तमाम राज्यों में बनाई जा रही हैं। इस कार्य के लिए सरकार की ओर से पर्याप्त धनराशि भी समय-समय पर मुहैया करा रही है और इस क्ष्ोत्र के प्रोफशनल्स को रोजगार के नये अवसर भी प्रदान कर रही है, इसके लिए बाकायदा नेशनल डिजास्टर रेस्क्यू फोर्स का गठन भी किया जा चुका है, युवाओं को इसमें भारी संख्या में शामिल कर रोजगार उपलब्ध कराया जाता है।
कठिन ट्रेनिंग
आपदा प्रबंधन में करिअर संवारने के लिए आपको कठिन ट्रेनिंग प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। ट्रेनिग में प्रमुख तौर पर कुछ अहम पहलुओं पर ध्यान दिया जाता है।
आपदा के कुप्रभाव को कम से कम करने पर ध्यान देना।
आपदाग्रस्त लोगों को तुरंत बचाव एवं राहत की व्यवस्था।
प्रभावित लोगों की पुर्नस्थापना और भविष्य में आने वाली आपदाओं से समय रहते कैसे निपटा जाए इसकी जानकारी मुहैया करना।
देखा जाए तो इस ट्रेनिग में कम समय में एक्शन लेने की कार्ययोजना और समस्त संसाधनों को एक प्रबंधक की तरह बहुत ही प्रभावी ढंग से संचालित करने पर ज्यादा जोर होता है।

शिक्षा संस्थान
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजास्टर मैनेजमेंट, नई दिल्ली।
डिजास्टर मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट, भोपाल।
डिजास्टर मिटिगेशन इंस्टीट्यूट, अहमदाबाद।
सेंटर फार डिजास्टर मैनेजमेंट, पुणे।
इंस्टीट्यूट ऑफ डिजास्टर मैनेजमेंट एंड फायर सर्विसेज, चंडीगढ़।





Thursday 27 June 2013

फिटनेस है तो रिलैक्स है


बनाइए दूसरों की सेहत और अपना करिअर



आज हर छोटे बड़े शहर में फिटनेस सेंटर खुल रहे हैं, इसका प्रमुख कारण लोगों का अपनी हेल्थ को लेकर अवेयर होना माना जा रहा है। इस कारण फिटनेस टेàनर के प्रोफेशन ने एक कमाउ प्रोफेशन के रूप में अपने पांव पसारे हैं। इस क्ष्ोत्र के बढ़ते दायरे का एक और अहम कारण बालीवुड को माना जा रहा है। जहां हीरो की सिक्स पैक एब्स बाडी देख युवा भी उस तरह की बाडी पाने के लिए फिटनेस सेंटरों व जिम हाउसों की ओर रूख कर रहे हैं, और भारी रकम चुका वैसी ही फिजिक स्टाइल पाना चाहते हैं। इस कारण यह प्रोफेशन काफी कमाई वाला साबित हो रहा है, अगर आप की भी रूचि इस क्ष्ोत्र में है तो निसंदेह यह क्ष्ोत्र आपको सैटिस्फैक्शन के साथ-साथ कमाई के मामले में भी बेहतर साबित होगा।

संभावनाएं है ज्यादा

बढ़ते पॉल्यूशन और कॉर्पोरेट कल्चर से तेज रफ्तार होती जिदगी में लोग अपनी सेहत के प्रति अब पहले से बहुत ही ज्यादा सजग हो गए हैं। रोज पैदा हो रही नई बीमारियों के बढ़ रहे खतरे से लोग अपनी सेहत की चिता पहले से ज्यादा करने लगे हैं। इसके लिए वे फिटनेस सेटरों का सहारा लेते हैं। आमतौर पर अब खुद को फिट रखना एक जरूरत बन चुकी है, कई तो सिर्फ दिखावे के लिए ही फिटनेस सेंटरों का रूख कर लेते हैं। इस क्षेत्र में भी युवाओं के लिए करिअर के कई अवसर दरवाजा खोले खड़े हैं।

कार्यक्ष्ोत्र

एक फिटनेस ट्रेनर के तौर पर आपका मुख्य कार्य होता है लोगों के शरीर को उनकी चाह अनुसार बनाना और शरीर को तंदुरस्त बनाने के साथ-साथ उसे एक सही और आकर्षक श्ोप देना होता है। फिटनेस ट्रेनर के तौर पर आप ग्रुप या इंडिविजुअल को शारीरिक तौर से ट्रेंड करना होता है, इस ट्रेनिंग में ऐरोबिक्स, वेट गेन/वेट लूज,के साथ ही बाडी की मशल्स को लचीला बनाना होता है।

रोजगार की कोई कमी नहीं

टैलेंटेड टàेनर्स के लिए इस क्ष्ोत्र में रोजगार की कोई कमी नहीं है। आमतौर पर एक फिटनेस ट्रेनर को जिम सेंटर्स, बड़े-बड़े होटल्स, हेल्थ क्लब, स्पा सेंटर्स व रिजार्ट्स में आसानी से काम मिल जाता है। बाडी फिटनेस में रुचि रखने वाले युवा इसके साथ कंप्यूटर, और तकनीकी ज्ञान हासिल कर बेहतर करिअर बना सकते हैं। फिटनेस के क्षेत्र में अब पहले से ज्यादा अवसर उपलब्ध हैं। कई सारे बाडी बिल्डिंग चैंपियनशिप और कंप्टीशन भी आयोजित किए जाने लगे है। देश के सभी शहरों में जिमों की संख्या बढ़ रही है। इसलिए यह प्रोफेशन रोजगार के मायने में युवाओं के लिए बहुत ही फायदेमंद हो सकता है। इस क्ष्ोत्र में आए परिवर्तन ने इस प्रोफेशन में करिअर की राह को काफी बेहतर कर दिया है। फिटनेस सेंटरों के बढ़ने से फिटनेस ट्रेनरों, फिटनेस इंस्ट्रक्टर्स की मांग भी दिनोदिन बढ़ती जा रही है।

कं पनियां भी रख रहीं टेàनर

कार्पोरेट कंपनियां भी मान चुकी हैं कि कर्मचारियों की सेहत का ध्यान रखा जाना बहुत जरूरी है, इसलिए कई बड़ी कंपनियां अपने कर्मचारियों के लिए नियमित चेकअप कैंप लगवाती हैं। कई कंपनियों में फिजिकल ट्रेनर भी रखे जाते हैं।

खुद का सेंटर

स्वास्थ्य के प्रति बढ़ रही जागरूकता ने लोगों के रुझान को फिटनेस सेटरों की ओर कर दिया है, जिस कारण दिन पर दिन इन सेंटरों की संख्या और ट्रेनरों की मांग भी बढ़ती जा रही है। इस प्रोफेशन को अपनाने के साथ ही आप अपना खुद का फिटनेस सेंटर भी खोल सकते हैं, और अपनी कमाई को अपनी मेहनत और चाह के बल पर कई गुना बढ़ा सकते हैं।

प्रवेश योग्यता और कमाई

वैसे तो इस क्ष्ोत्र में इंट्री करने के लिए कोई विश्ोष योग्यता की जरूरत नहीं होती है। इस प्रोफेशन को अपनाने के लिए सबसे पहले आपको शारीरिक तौर से फिट होना जरूरी है, साथ ही बेहतरीन कम्युनिकेशन स्किल भी इस क्ष्ोत्र में सफल मुकाम बनाने के लिए बेहद जरूरी है। इसके अलावा अगर आप शारीरिक शिक्षा विषय से ग्रेजुएट हैं तो यह आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। आज देश में कई शिक्षा संस्थान फिटनेस से जुड़े सर्टीफिकेट, डिप्लोमा व डिग्री कोर्स भी संचालित कर रहे हैं। इस प्रोफशन से जुड़े युवाओं को आकर्षक वेतन मिलता है। इनका वेतन इनकी जॉब लोकेशन व कंडीशन पर भी डिपेंड करता है।

फिटनेस संबंधी कोर्स संचालित करने वाले संस्थान

इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट आफ फिजिकल एजुकेशन एंड स्पोटर्स साइंस, दिल्ली।
लक्ष्मीबाई नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिकल एजुकेशन, त्रिवेंद्रम, ग्वालियर।
साई,नेताजी सुभाष चंद्र नेशनल इंस्टीट्यूट आफ स्पोर्ट, पटियाला, कोलकाता, बंगलौर।
गोल्ड जिम इंस्टीट्यूट, मुंबई।
इंडियन एकेडमी आफ फिटनेस ट्रेनिंग सेंटर, कर्नाटक।




Tuesday 25 June 2013

दस बहाने करके ले जाओ जॉब


जॉब पाने के टेन टिप्स


अगर आपके पास सभी जरूरी योग्यताएें और डिग्री के होने के बावजूद भी नौकरी नहीं मिल रही है, पूरे प्रयास करने के बाद भी आप जॉब मार्केट में कंपनियों का ध्यान आकर्षित नहीं कर पा रहे हैं, और साथ ही आप इंटरव्यू में सफल भी नहीं हो पा रहे हैं तो आपको सेल्फ एनालिसिस करने की जरूरत है।
इससे आप अपनी खूबियों को पहचान सकेंगे और उन्हें जॉब्स ढूंढने में उपयोग कर पाएेंगे। कुछ खास बातें जो आपको नौकरी दिलाने में हेल्पफुल साबित हो सकती हैं।

आकर्षक हो रिज्यूमे व कवरिंग लेटर-

सेलेक्शन पान्ो के लिए आपके रिज्यूमे का आकर्षक होना बेहद जरूरी है। अपनी खूबियां संक्षेप में ही रख्ों, जो सच हो वही एड करें, बढ़बोलापन आपके लिए घातक साबित हो सकता है। आपने प्रोफाइल को थोड़ा आकर्षक बनाएं, रिज्यूमे के करेंट लेआउट का प्रयोग करें। कवरिंग लेटर में ग्रामेटिकल मिस्टेक न करें, इससे बैड इफेक्ट पड़ता है, साथ ही दर्शाएं की यह जॉब आपके लिए जरूरी है और आप कंपनी के लिए के कितने फायदेमंद हो सकते हैं।

कम्युनिकेशन बढ़ाएं- 

सोशल नेटवîकग वेबसाइट्स पर सक्रिय रहें। लोगों से मिलें। हर जॉब पोर्टल पर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाएं। नौकरी की अपनी जरूरतों को स्पष्ट रूप से बता देना चाहिए। ई-मेल या फोन करने की बजाय लोगों से सीधे मिलें। इससे आपका प्रभाव लोगो पर अच्छा पड़ेगा।

जान लें कंपनी के बारे में- 

आप जिस कंपनी में नौकरी करना चाहते हैं और इंटरव्यू देने जा रहे है, तो उसके वर्क कल्चर, टर्नओवर और हायरिग प्रोसेस के बारे में जानकारी जुटा लें। ताकि इंटरव्यू के दौरान आपको सहझता हो।

खुद का ब्रांड बनाएं

खुद की प्रोफाइल इंटरनेट साइट्स पर बनाएं। लिंक्डइन, फेसबुक, गूगल प्लस आदि पर अपनी आमद दर्ज कराएं। विजुअल सीवी का प्रयोग करें और सामने वाले से पॉजिटिव तरीके से कम्यूनिकेट करें, साथ ही अपना कांफीडेंस हाई रख्ों। इससे सामने वाले पर आपकी पाजिटिव इमेज बनेगी, जो आपके लिए फायदेमंद ही साबित होगा।

जॉब ओरिएंटड साइट्स

इंटरनेट पर मौजूद जॉब साइट्स पर रेगुलर विजिट करें, साथ ही कंपनियों की जॉब साइट्स पर भी अपनी आमद दर्ज कराते रहें। जॉब सर्च इंजिंस का इस्तेमाल करें, जॉब बैंक्स पर भी रेगुलर विजिट करना आपके लिए श्रेयस्कर रहेगा।

जोश के साथ नौकरी खोजें

नौकरी के प्रति आपका ढीला रवैया आपको नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए जॉब सर्च इंजिन्स का इस्तेमाल करें। और उन पर प्रोफाइल अपने इंट्रेस्ट व लोकेशन के अनुसार ही हमेशा अपडेट करते रहें।

जॉब सर्च टूल्स का करें प्रयोग

आज कल हर किसी के पास हाई-फाई एप्लीकेशंस से युक्त व टेक्नोलॉजी से लबरेज गैजेट्स हैं तो लेकिन वह इसका खुद के हित में प्रयोग नहीं कर पा रहा है। आज तमाम तरह की एप्लीकेशंस मोबाइल्स व लैपटॉप में मौजूद हैं जो जॉब ढूंढने में अहम रोल अदा करती हैं लेकिन इसके लिए हमारा जानकार होना बेहद जरूरी है।

लिस्ट बनाएं

जिस तरह की कंपनी में आप काम करना चाहते हैं, उन कंपनियों की एक सूची बनाएं, और बारी-बारी उनसे कांटेक्ट करते रहें व समय पड़ने पर विजिट भी कर लें। कंपनीयों की प्रॉपर लिस्टिंग आपको काफी हद तक फायदा पहुंचा सकती है।

अपनी खूबियों को पहचानें-  

नौकरी ढूंढने से पहले आपको अपनी खूबियों की बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए। इस बात की भी जानकारी रखें कि आज जॉब्स देने वाली कंपनियों की जरूरतें क्या हैं। आजकल एक नौकरी के लिए हजारों आवेदन आते हैं, ऐसे में आपमें कुछ खास योग्यताएं होनी चाहिए , ताकि आप वह जॉब हासिल कर सकें।

ऑफर लेटर को ध्यान से जांचे

और आखिर में इस बिंदु पर खास तौर से ध्यान दें, नौकरी पक्की होने की खुशी हर व्यक्ति को होती है, लेकिन ऑफर लेटर को साइन करते समय उसमें मौजूद तथ्यों को जांचना बेहद जरूरी होता है। ऑफर लेटर साइन करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रख्ों, सैलरी, वर्किंग सेड्यूल, कंपनी की लोकेशन के साथ ही वहां का वातावारण भी जानना बहुत जरूरी होता है। कई बार कंपनी का में चल रही राजनीति आपके काम और प्रगति में बाधक बन जाती है।
इस लिए ऊपर सुझाए गए बिंदुओं पर गौर करें और उन्हें अमल में लाकर नई नौकरी को इंज्वाय करें।



 

Friday 21 June 2013

विदेश शिक्षा की पहली सीढ़ी



विदेश शिक्षा की है आस तो टफेल करो पास


अगर आपका सपना है, विदेश में पढ़ने का तो आपको गुजरना होगा टफे ल की कठिन प्रवेश प्रकिृया से। टफेल, टेस्ट ऑफ इंग्लिश एज एन फॉरेन लैंग्वेज अब सिर्फ अमेरिकन यूनीवर्सिटीज में अध्ययन के लिए ही नहीं बल्कि अन्य कई विदेशी यूनिवर्सिटियों में प्रवेश के लिए भी वैलिड हो चुका है। हावर्ड, ऑक्सफोर्ड, ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी और नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिगापुर सहित लगभग छह हजार यूनिवर्सिटी में टफेल को मान्यता मिली हुई है।
एजूकेशन टेस्टिंग सर्विस द्बारा दुनिया भर के प्रमुख देशों में टफेल टेस्ट को आयोजित किया जाता है। एजूकेशन टेस्टिंग सर्विस एक नानप्राफिट यूएस बेस्ड आर्गनाइजेशन है। जो एजूकेशन के क्ष्ोत्र में विदेश शिक्षा के लिए वर्ल्डवाइड लेवल के कई तरह के एग्जाम कंडक्ट कराती है, जिनमें से एक टफेल भी है।

एप्लाई कैसे करें

टफेल टेस्ट में एपियर होने के लिए आपको अपने लोकल सेंटर पर जाकर रजिस्ट्रेशन कराना होता है। रजिस्ट्रेशन के लिए आप एजूकेशन टेस्टिंग सर्विस की वेबसाइट ६६६.ी३२.१ॅ/३ीा’ॅ४्रीि.ँ३Þ <ँ३३स्र://६६६.ी३२.१ॅ/३ीा’ॅ४्रीि.ँ३Þ> पर आनलाइन कर सकते हैं। इसकी एग्जाम रजिस्ट्रेशन फीस हर कंट्री के लिए अलग-अलग निर्धारित है। भारतीय कैंडीडेट के लिए यह फीस 35 यूएस डालर तय की गई है।

टेस्ट फार्मेट

टफेल टेस्ट मुख्यत: दो तरह के फार्मेट में आयोजित कराया जाता है, पहला इंटरनेट बेस्ड टेस्ट [आईबीटी] और दूसरा पेपर बेस्ड टेस्ट [पीबीटी]। यह टेस्ट भारत के विभिन्न शहरों में अलग-अलग समय पर स’ाह के आखिरी दिनों शनिवार व रविवार को आयोजित कराया जाता है।

टफेल टेस्ट को चार सेक्शंस में डिवाइड किया गया है।

रीडिग- रीडिग सेक्शन में 3 से 5 लंबे पैसेज शामिल किए जाते हैं और इन पर आधारित प्रश्न दिए जाते हैं। ये पैसेज अंडरग्रेजुएट सिलेबस से लिए जाते हैं और इसमें कैं डीडेट के नॉलेज को चेक किया जाता है। इसके जरिए कैंडीडेट की अलग-अलग लेवल से चेकआउट किया जाता है, जैसे टॉपिक क्लैरिटी, पैसेज आइडिया, वोकेबलरी आदि।

लिस्निंग- इस सेक्शन के अंतर्गत स्टूडेंट्स को छह पैसेज को सुनाया जाता है। इस सेक्शन में चार एकेडमिक पैसेज के साथ दो स्टूडेंट्स के बीच बातचीत होती है। लिस्निंग सेक्शन में स्टूडेंट को पैसेज के आइडिया, डिटेल, पर ध्यान देना जरूरी होता है।

स्पीकिग- इस सेक्शन के अंतर्गत टोटल छह टास्क दिए जाते हैं, जिसमें दो टास्क स्वतंत्र रूप से करने होते हैं, जबकि अन्य टास्क ग्रुप में होते हैं। इसमें स्टूडेंट एक पैसेज पढ़ता है और दूसरा पैसेज सुनता है और फिर दोनों में संबंध बताते हुए उसको डिफाइन करता है।

राइटिग- राइटिग सेक्शन में दो टास्क दिए जाते हैं। इसमें पहला टास्क इंडीविजुअली जबकि दूसरा ग्रुप में करना होता है। इसमें स्टूडेंट्स एक पैसेज पढ़ता है और दूसरा पैसेज सुनता है। फिर दोनों पैसेज में रिलेशन को डिफाईन करते हुए अपनी ओपीनियन को लिखता है।


टेस्ट में समय सीमा व प्रश्नों की संख्या
रीडिग 3 पैसेज और 39 प्रश्न 6० मिनट
लिस्निंग 6 पैसेज और 34 प्रश्न 5० मिनट
स्पीकिग 6 टास्क और 6 प्रश्न 2० मिनट
राईटिंग 2 टास्क और 2 प्रश्न 55 मिनट

विस्त्त जानकारी के लिए वेबसाइट [६६६.ी३२.१ॅ] को देखें ।

Thursday 20 June 2013

पास करो नेट लाइफ करो सेट





वक्त कागज और कलम की गुफ्तगू का




यूजीसी नेट, जेआरएफ एंट्रेंस एग्जाम
एग्जाम डेट : 3० जून

बस अब वक्त है आपकी मेहनत को रंग चढ़ाने का। अगर आप यूजीसी द्बारा आयोजित की जाने वाली नेशनल इलेजिबिलिटी टेस्ट [नेट] ओर जूनियर रिसर्च फेलोशिप [जेआरएफ] की परीक्षा में शामिल हो रहे हैं और बेहतर अंकों के साथ सफल होना चाहते हैं, तो आपके लिए बेहतर यही है कि इस वक्त आप सिर्फ रिवीजन करें। अगर आप रिवीजन इस कम वक्त को मैनेज करके बेहतरी से करते हैं, तो निश्चित ही आपको सफल होने से कोई नहीं रोक सकता है। लेकिन सफलता पाने के लिए प्रॉपर प्लानिंग करनी होगी, और उसी के अनसार परीक्षा की तैयारी को यूटीलाइज करना होगा।
नेट एग्जाम में आप बेहतर परफार्म तभी कर पाएंगे, जब आप एग्जाम की तैयारी सिलेबस के अकार्डिंग करेंगे। आम तौर पर आप ने अब तक इस एग्जाम की प्रिपरेशन भी शुरू कर चुके होंगे। लेकिन अब समय है इसे फाइनल टच देने का। कई स्टूडेंट्स बेहतर पढ़ाई करने के बावजूद रिविजन के अभाव में परीक्षा में सफल नहीं हो पाते हैं। इसका मेन रीजन यह है कि वे एग्जाम प्रिपरेशन को फाइनल टच नहीं दे पाते हैं।
 

एग्जाम पैटर्न

इस एग्जाम को प्रमुख रूप से तीन पेपरों में बांटा गया है। इस परीक्षा में ऑब्जेक्टिव टाइप ही सवाल पूछे जाते हैं।

पहला पेपर

पहला पेपर जनरल एप्टीट्यूड का होता है। यह पेपर सभी कैंडीडेट्स के लिए कॉमन होता है, इसके तहत रीजनिंग, कांप्रीहेंशन, डायवर्जेंट थिंकिंग से जुड़े सवाल पूछे जाते हैं। इन सवालों के जरिए कैंडीडेट्स की नॉलेज चेक किया जाता है। यह पेपर 1०० मार्क्स व सवा घंटे की समयसीमा का होता है। इस पेपर में 6० सवाल होते हैं जिसमें से अभ्यर्थी को 5० हल करने होते हैं।

दूसरा पेपर

यह पेपर सब्जेक्ट बेस्ड होता है, इसमें कैंडीडेट द्बारा सेलेक्ट किए गए सब्जेक्ट से ही सवाल पूछे जाते हैं। इस पेपर में पचास सवाल होते हैं जोकि साल्व करना कंपल्सरी होता है। इस पेपर की समयसीमा पहले पेपर की तरह ही सवा घंटे होती है, यह पेपर टोटल 1०० मार्क्स का होता है।

तीसरा पेपर

यह पेपर भी सब्जेक्ट बेस्ड होता है। इस पेपर में कुल 75 प्रश्न होते हैं, जिनमें सभी को हल करना होता है, हालांकि यह पेपर अन्य पेपर्स की तुलना में सवा दो घंटे की समयसीमा का होता है। इस पेपर में सब्जेक्ट से जुड़ी गहन नॉलेज सवालों के जरिए चेक की जाती है। इस पेपर में 15० मार्क्स का होता है।

क्वालीफाइंग पर्सेंटेज

इस एग्जाम में जहां जनरल कैंडीडेट्स को पहले और दूसरे पेपर में 4०-4० पर्सेंट लाने होते हैं जबकि तीसरे पेपर में 5० पर्सेंट, और टोटल क्वालीफाइंग 65 लाना होता है। वहीं ओबीसी को पहले-दूसरे पेपर में 35-35 पर्सेंट व तीसरे पेपर में 45 पर्सेंट जबकि टोटल क्वालीफाइंग पर्सेंट 6० होता है। एससी व एसटी कैंडीडेट के लिए पहले-दूसरे पेपर में 35-35 पर्सेंट जबकि टोटल क्वालीफाइंग पर्सेंट 55 होता है। इसलिए कैंडीडेट्स को क्वालीफाइंग पर्सेंट को ध्यान में रखकर तैयारी करनी होती है।
 

स्पीड,एक्यूरेसी और टाइमिंग

इस परीक्षा में आप तभी सफल हो सकते हैं, जब आप स्पीड,एक्यूरेसी और टाइमिंग का ध्यान रखेंगे। ऑब्जेक्टिव टाइप के एग्जाम्स में इसकी बहुत इंपार्टेंस होती है। आपके लिए बेहतर होगा कि निर्धारित समय सीमा के अंदर प्रश्नों को एक्यूरेसी के साथ साल्व करने की प्रैक्टिस आपके लिए हमेशा फायदेमंद रहेगी।
इस परीक्षा में बेहतर मार्क्स तभी ला सकते हैं, जब आपकी अपने विषय पर पकड़ होगी। इस कारण सबसे पहले आप अपनी विषय से रिलेटेड प्रश्नों का हल करें। बाजार मे इससे संबंधित काफी पुस्तक उपलब्ध होते हैं। करेंट रिसर्च पर गहरी निगाह रखें। इस परीक्षा की तैयारी कुछ दिनों में संभव नहीं है। इसकी पूरी तैयारी आप तभी कर पाएंगे, जब आप प्लानिग से तैयारी करेंगे।
 

सब्जेक्ट पर कमांड

क्वेश्ंचस का लेवल पोस्टग्रेजुएट के सिलेबस के अनुसार ही होता है। इस लिए यह जरूरी हो जाता है कि आपको अपने विषय पर कमांड हो। बेहतर स्ट्रेटेजी मेंटेन करके आप अपनी बुक्स को रिवाइज करें। अब समय कम है बनाए गए नोट्स को दोहराएं। इस तरह की प्लनिंग से फायदा यह होगा कि आप कम समय में बेहतर तैयारी कर पाएंगे और परीक्षा के समय बेहतर प्रदर्शन करेंगे।

नोट्स प्रिपेयर करें

बाजार में इसके लिए नोट्स भी मिलते हैं। यदि आप चाहें, तो इसकी हेल्प ले सकते हैं। तैयारी के लिए इंपार्टेंट टॉपिक्स को एक जगह नोट भी कर सकते हैं। इस लिस्ट में उन्हीं को शामिल करें, जिससे हर वर्ष या सर्वाधिक प्रश्न पूछे जा रहे हैं। ऑब्जेक्टिव टाइप के प्रश्नों में कैंडीडेट्स के लिए तीन टाइप के क्वेश्चंस पूछे जाते हैं। जिनमें पहला-आसान, दूसरा-5०-5० और तीसरा लकी होता है। इसलिए आंसर सोंच समझकर लिखें।

स्कॉलरशिप

परीक्षा में मेरिट के अनुसार सबसे अधिक मार्क्स लाने वाले स्टूडेंट्स को स्कॉलरशिप प्रदान की जाती है। जहां कुछ उम्मीदवारों को जूनियर रिसर्च फेलोशिप यानी जेआरएफ, वहीं बाकी को नेट यानी नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट के लिए चुना जाता है। जेआरएफ में चुने गए स्टूडेंट्स को रिसर्च के लिए स्कॉलरशिप दी जाती है, जबकि नेट क्वालीफाई को स्कॉलरशिप नहीं मिलती। इस परीक्षा को उत्तीर्ण करने वाले स्टूडेंटस ही लेक्चरर या रीडर पद के एलिजिबल होते हैं।

आवश्यक योग्यता

अभ्यर्थियों के लिए संबंधित विषय में कम से कम 55 प्रतिशत अंकों के साथ किसी मान्यता प्राप्त यूनीवर्सिटी से पोस्टग्रेजुएट होना जरूरी होता है। एससी, एसटी तथा विकलांग व्यक्तियों के लिए 5० प्रतिशत अंकों से पोस्टग्रेजुएट होना जरूरी है। जेआरएफ के लिए उम्र सीमा 19 वर्ष से 28 वर्ष के मध्य होनी चाहिए।

[कैरियर इंडेवर एकेडमी के करिअर काउंसलर अमर यादव से बातचीत पर आधारित।]


Sunday 16 June 2013

ऑफिस-ऑफिस चला मुसद्दी


ऑफिस में बनाएं हैप्पी माहौल, पाएं सक्सेस


हमारा वर्कप्लेस हमारे लिए बहुत ही उपयोगी होता है इसलिए वहां के माहौल को खुशमिजाज बनाए रखना हमारे लिए बेहद जरूरी बन जाता है। ऑफिस में लोग लगभग अपना पूरा दिन बिताते हैं। कुछ सहकर्मी अच्छे फ्रेंड्स भी बन जाते हैं। अब पूरा दिन उनके साथ रहने पर बातें भी खूब होती हैं। आमतौर पर ऐसा माना जाता है कि ऑफिस में फ्रेंडली एंवॉयरमेंट काम के प्रोडक्शन को इंप्रूव करता है।
आज के वर्क-कल्चर में आप चाहे किसी भी फील्ड या पोस्ट पर क्यों न हो, कंपनी आपसे हमेशा कुछ अलग और नया चाहती है। कहने का मतलब यह है कि कई कंपनियां आज ऐसे कर्मचारियों को अधिक प्राथमिकता देती हैं, जो अपने कार्य से कंपनी की ग्रोथ को इंप्रूव कर सकें। और ऐसा, आपकी कंपनी और आपके काम करने की डेस्क के माहौल पर सबसे ज्यादा निर्भर करता है।

पोस्ट योर गोल्स

इस प्रतियोगी दौर में सक्सेस तक पहुंचना बहुत ही टेड़ी खीर बनता जा रहा है। सफलता को पाने के लिए हमें कंसंटेàशन के साथ अपने काम को अंजाम देना होता है, और कंसंटेàट होने के लिए आपक ा कूल माइंड होना व आपके गोल्स का क्लियर होना बेहद जरूरी है। कहते हैं जब हमारा सपना बार-बार हमारी आंखांे में तैरता है, तभी हम उसे पूरा करने की कोशिश करते हैं। इस लिए हमारे ऊपर भी यह बात लागू हो जाती है कि हम अपने गोल्स को अपने सामने रखें ताकि हम उसे पाने की कोशिश लगातार करते रहें।

जरूरी दस्तावेज आंखों के सामने

आफिस में अक्सर काम करते हुए हम अपने बेहद जरूरी अप्वाइंटमेंट और असाइनमेंट्स को भूल जाते हैं। जिस कारण हमारा काम पीछे छूट जाता है या फिर कभी-कभी बिगड़ भी जाता है। इस तरह की समस्या से बचने के लिए हमें चाहिए की अपने जरूरी दस्तावेज हम अपनी आंखों के सामने रखें जिससे वो हमें बार-बार रिमाइंड करते रहें।

पसंदीदा फोटो रखें सामने

आमतौर पर माना जाता है कि अगर जिसे हम पसंद करते हैं या फि र हम जिसे आदर्श मानते हैं, वो अगर हमारे साथ रहते हैं तब हमारी परफामेर्ंस कई गुना बढ़ जाती है। क्योंकि हम उनसे मोटीवेट होते हैं और काम के प्रमि सकारात्मकता का दायरा बढ़ता है। इसलिए हम अपने आफिस में भी उनकी फोटो लगाते हैं जो हमारे सामने रहती है तो निश्चित तौर पर काम पर सकारात्मक असर पड़ता है और हम अपना बेहतर दे पाते हैं।

पौधों से दोस्ती

आफिस में अगर आपके आसपास कोई पौधा लगा है तो आपक े काम और आपके स्वास्थ्य में कोई गिरावट नहीं आती। क्योंकि पौध्ो ऑक्सीजन और पाजिटिव इंवायरमेंट क्रिएट करते हैं, जो हमारी तंदुरस्ती और काम के तरीके एनर्जेटिक बनाता है।

साफ-सफाई

आफिस को हमेशा पूरी तरह से क्लीन रखना चाहिए। साफ-सफाई और सुंदरता हर किसी का मन मोह लेती है। इसलिए जरूरी जाता है कि आपकी डेस्क साफ-सुथरी और चकाचक हो, जिससे आपके माइंड में सकारात्मकता का संचार होता है, और अपना सौ प्रतिशत दे पाते हैं।

पौष्टिक आहार

अगर आपको सफल इंप्लाई बनना है तो सबसे पहले जरूरत होती है, हेल्दी और पौष्टिक आहार लेने की। संतुलित डाइट आपके एनर्जी लेवल को बूस्ट करती है जिससे आप बिना थके हुए अपना कार्य पूरा कर पाते हैं। सही और पौष्टिक आहार लेने से आप हमेशा जोश से लबरेज रहते हैं और नकारात्मकता आपके आसपास फटक भी नहीं पाती। और आप अपने काम को पूरे जोश के साथ समय से पूरी कर लेते हैं। इससे आफिस में सहकर्मियों और बॉस के मन में आपके प्रति पॉजिटिव इमेज क्रिएट होती है जो आपकी प्रोगेस में चार चांद लगाती है।


Friday 14 June 2013

खाओ खिलाओ करिअर बनाओ




http://www.nationalduniya.com/Admin/data/2013/06/14/Delhi/Delhi/2013_06_14_page15.html#


होटल मैनेजमेंट में उज्जवल है भविष्य


देश में होटल इंडस्ट्री के कारोबार में लगातार इजाफा हो रहा है। भारत में होटल इंडस्ट्री के विकास का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि एशिया में होटल इंडस्ट्री के विकास के मामले में भारत चीन के बाद दूसरे स्थान पर है। विश्ोषज्ञों के अनुसार माना जा रहा है कि इस क्ष्ोत्र में भारत सबसे तेजी से विकसित होने वाला पांचवा बडाè देश होगा। होटल इंडस्ट्री में बढ़ते स्कोप को देखते हुए यदि आप होटल मैनेजमेंट से जुड़े कोर्स कर लेते हैं, तो भविष्य में आपके लिए नौकरियों की कमी नहीं रहेगी।

अवसर हैं अपार

होटल मैनेजमेंट कोर्स करने के बाद आप होटल एवं हॉस्पिटैलिटी उद्योग में मैनेजमेंट ट्रेनी के तौर पर कार्य की शुरुआत कर सकते हैं। इसके अलावा, होटलों में किचन मैनेजमेंट, हाउसकीपिग मैनेजमेंट, एयरलाइन केटरिग, केबिन सर्विसेज, सर्विस सेक्टर में गेस्ट या कस्टमर रिलेशन एक्जिक्यूटिव, फास्ट फूड चेन, रिसोर्ट मैनेजमेंट, क्रूज शिप होटल मैनेजमेंट, गेस्ट हाउसेज, केटरिग, रेलवे या बैंक या बड़े संस्थानों में केटरिग या कैंटीन आदि में नौकरियां मिल सकती हैं। इसके साथ साथ आप स्वरोजगार की राह भी अपना सकते हैं।

कौन-कौन से कोर्स

देश में होटल मैनेजमेंट की एजूकेशन नेशनल काउंसिल फॉर होटल मैनेजमेंट एंड कैटरिग टेक्नोलॉजी द्बारा कराई जाती है। काउंसिल से देश के 21 सेंट्रल इंस्टीट्यूट, 7 स्टेट इंस्टीट्यूट और करीब 7 प्राइवेट इंस्टीट्यूट जुड़े हुए हैं। होटल मैनेजमेंट में दो तरह के पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं। डिग्री एवं डिप्लोमा कोर्सेस। 12वीं के बाद इस क्ष्ोत्र में ग्रेजुएट डिग्री में सीध्ो व प्रवेश परीक्षा के तौर पर एडमीशन लिया जा सकता है। अगर आप ग्रेजुएट हैं तो आप इस कोर्स के डिप्लोमा इन होटल मैनेजमेंट, में प्रवेश ले सकते हैं। साइंस के छात्रों के लिए बीएससी इन होटल मैनेजमेंट एंड कैटरिग साइंस में डिग्री प्रदान की जाती है, वहीं आर्ट स्ट्रीम के छात्रों के लिए बीए होटल मैनेजमेंट एंड कैटरिग में डिग्री प्रोवाइड की जाती है। जहां डिप्लोमा कोर्सेस दो साल की अवधि के होते हैं तो डिग्री कोर्सेसे तीन साल के होते हैं।

कैसे मिलेगा प्रवेश

12वीं पास स्टूडेंट होटल मैनेजमेंट में डिप्लोमा या डिग्री हासिल कर सकते हैं, लेकिन आप अगर ग्रेजुएशन के बाद इस क्ष्ोत्र में करिअर तलाश रहे हैं तो उनके लिए भी अब रास्ते खुल गए हैं। एमएससी इन होटल मैनेजमेंट और पीजी डिप्लोमा इन होटल मैनेजमेंट की डिग्री हासिल कर सकते हैं। अधिकतर संस्थान ऑल इंडिया एडमिशन टेस्ट एंव इंटरव्यू के आधार पर स्टूडेंट्स का चयन करते हैं।

कोर्स एक रास्ते अनेक

होटल इंडस्ट्री में आपके लिए कई ऑप्शन हैं। आप चाहें, तो मैनेजमेंट, मार्केटिग आदि में करियर बना सकते हैं। आइए जानते हैं कहां-कहां है आपके लिए हैं विकल्प।
मैनेजमेंट: किसी भी बड़े होटल को सही ढंग से चलाने की जिम्मेदारी मैनेजमेंट पर ही होती है। साथ ही वे इस बात पर भी ध्यान रखते हैं कि कैसे होटल का रेवेन्यू बढ़ाया जा सकता है। अलग-अलग विभागों के सहायक प्रबंधक अपने विभागों के कार्य पर निगरानी रखते हैं। बड़े होटलों में तो रेजिडेंट मैनेजर भी होते हैं।
फ्रंट ऑफिस: फ्रंट ऑफिस में बैठने वाले कर्मचारी होटल में आने वाले अतिथियों का स्वागत करते हैं। यहां रिसेप्शन होता है, विजिटर्स के लिए इंफार्मेशन प्रदान करते हैं। ये लोग अतिथियों का सामान उनके कमरे में पहुंचवाने से लेकर उनको सूचनाएं भिजवाने का कार्य करते हैं।
फूड एंड बेवरेज: इस विभाग को तीन भागों में बांटा गया है। किचन, और फूड सर्विस विभाग। इस विभाग के मैनेजर और कर्मचारी मिल कर इस विभाग की जिम्मेदारियों को निपटाते हैं। खाना बनाने से लेकर परोसने तक का काम यहां होता है।
हाउसकीपिग: किसी भी होटल को उम्दा किस्म की देखभाल की जरूरत होती है। हाउसकीपिग विभाग सभी कमरों, मीटिग हॉल, बैंक्वेट हॉल, लॉबी, रेस्तरां आदि की साफ-सफाई की जिम्मेदारी उठाता है। यह होटल का बेहद महत्त्वपूर्ण विभाग है और 24 घंटे काम करता है।
मार्केटिग विभाग: आज होटल में उपलब्ध सेवाओं व सुविधाओं की मार्केटिग होटल मैनेजमेंट का अहम हिस्सा है। इनकी काबिलियत का ही प्रत्यक्ष लाभ होटल को मिलता है।

ये चीजें भी हैं जरूरी

इस क्ष्ोत्र में रुचि रखने वालों के लिए सबसे जरूरी तो यह है कि उनका पर्सनैल्टी आकर्षक होने के साथ-साथ कम्युनिकेशन स्किल भी शानदार हो। किसी भी मसले पर तार्किक तरीके से सोचने की क्षमता के साथ-साथ मैनेजिंग स्किल्स का होना भी बेहद जरूरी होता है। इनके अलावा, आपका शारीरिक तौर से स्वस्थ होना भी काफी मायने रखता है। और किसी भी समय काई भी कार्य करने के लिए तैयार रहने वाला व्यक्तित्व होना इस प्रोफेशन में सफलता की बुलंदियों पर पहुचा सकता है।

Thursday 13 June 2013

लिखो एक नई इबारत




भारतीय इंजीनियरिंग सर्विस : लिख दो सफलता की नई इबारत




भले ही आज करिअर के हजारों ऑप्शंस खुल गए हों, लेकिन इंजीनियरिग का क्ष्ोत्र स्टूडेंट्स के लिए हमेशा से ही हॉट सब्जेक्ट बना रहा है। आने वाली 28 जून को यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन, 763 वैकेंसीज को भरने के लिए इंडियन इंजीनियरिंग सर्विसेस का रिटेन टेस्ट देश के विभिन्न हिस्सों में अयोजित कर रहा है। अगर आप इस एग्जाम में एपीयर होने वाले हैंं और आप अपनी प्रिपरेशन को लेकर परेशान हैं तो आपको बिल्कुल भी परेशान होने की जरूरत नहीं है। यहां प्रस्तुत हैं परीक्षा की तैयारी व एग्जाम पैटर्न के तरीके पर विस्तृत जानकारी.....

भारतीय इंजीनियरिंग सर्विसेस में शामिल होने का सपना लगभग हर इंजीनियरिंग का छात्र देखता है, अगर आपने भी पाला है सींचा है इस सपने को तो अब वो वक्त आ चुका है जब इस सपने को साकार किया जाए। अब वक्त है सिर्फ कुछ दिनों का, इन दिनों में कैसे करें तैयारी, कैसे पार करें इस बाधा को। इस परेशानी में ज्यादातर छात्र अपना सौ प्रतिशत नहीं दे पाते जिससे उनका परेशान होना लाजिमी है।

सिलेबस से रहें अपडेट

किसी भी परीक्षा में सफलता तभी मिल सकती है, जब उस परीक्षा से संबंधित सिलेबस की अच्छे से पढ़ाई की जाए। इस परीक्षा में कामयाबी पाने के लिए सबसे पहले आपको सिलेबस को अच्छी तरह से समझकर उसके अनुरूप तैयारी करनी होगी। आमतौर पर छात्र बीई या बीटेक के दौरान अपनी ब्रांच में तो विशेषज्ञता हासिल कर ली होती है। लेकिन यहां जरूरत है सिलेबस को अच्छे स्ो रिवाइज करने की। इसके अलावा, जनरल स्टडीज के एग्जाम में अच्छा परफार्म करने के लिए करेंट इवेंट, इतिहास, भूगोल, पॉलिटिक्स से संबंधित प्रश्न तथा जनरल इंग्लिश में अंग्रेजी भाषा की समझ से संबंधित ज्ञान को बढ़ा लेना बेहतर होता है।

एग्जाम पैटर्न

यह एग्जाम तीन दिनों तक चलता है। प्रमुख रूप से इस परीक्षा को दो सेक्शंस में बांट दिया गया है। 

पहला सेक्शन

पहले सेक्शन में ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्नों को पूंछा जाता है। इस सेक्शन में तीन पेपर होते हैं और तीनों ही पेपर 2०० मार्क्स व 2 घंटे की समयसीमा के होते हैं। इस सेक्शन के जरिए छात्रों की सब्जेक्ट्स नॉलेज व सामान्य क्षमता को जांचा जाता है। ऑब्जेक्टिव परीक्षा में जनरल एबिलिटी टेस्ट और विषय से संबंधित प्रश्न पूछे जाते है।

दूसरा सेक्शन

दूसरे सेक्शन में विस्तृत उत्तरीय सवाल पूछे जाते हैं। कन्वेंशनल पेपर में सिर्फ विषय से संबंधित प्रश्न ही होते हैं। पहले सेक्शन मेें जहां तीन प्रश्न पत्र होते हैं वहीं दूसरे सेक्शन में दो ही प्रश्न पत्र शामिल किए जाते हैं। इस सेक्शन में प्रमुख रूप से दो पेपरों को शामिल किया गया है, जिनकी समयसीमा तीन घंटे निर्धारित की गई है, और दोनों ही पेपर 2०० मार्क्स के होते हैं। इन पेपरों में लघुउत्तरीय सवालों की अपेक्षा विस्तृतउत्तरीय सवाल पूछे जाते हैं। यदि आप लिखित परीक्षा उत्तीर्ण करते हैं, तो पर्सनैलिटी टेस्ट के लिए आपको बुलावा भ्ोजा जाता है।

पिछले वर्ष के प्रश्नों को बेहतर ढंग से समझें

बेहतर तैयारी के लिए जरूरी है कि इस परीक्षा में पिछले सालों में पूछे गए प्रश्नपत्रों को ध्यान से समझने की कोशिश करें। इससे तैयारी करने में आसानी होगी। इंजीनियरिग परीक्षा में जनरल एबिलिटी का पेपर सभी के लिए आवश्यक है। इस कारण इसकी तैयारी के लिए अलग से योजना बनाएं और उसी के अनुरूप तैयारी करें। अंग्रेजी की तैयारी के लिए एक नेशनल न्यूजपेपर पढèने के साथ ही अंग्रेजी ग्रामर का नियमित अभ्यास करें।

करेंट से रहें अपडेट

करेंट इवेंट्स की तैयारी के लिए राष्ट्रीय अखबार पढ़ें। इसके साथ ही रोज समाचार सुनने की आदत भी बनाएंं, जोकि आपको अच्छा स्कोर करने में मदद करेगी।
कमजोरी को बनाएं मजबूती
अक्सर देखा जाता है कि इंजीनियरिग के स्टूडेंट्स अपने सब्जेक्ट्स को गहनता से नहीं पढ़ते हैं। इसका परिणाम यह होता है कि परीक्षा हाल में बेहतर प्रदर्शन करने में उन्हें परेशानी होती है। इस परीक्षा में सभी इंजीनियरिग के स्टूडेंट्स ही सम्मिलित होते हैं। इस कारण इसमें कंपटीशन काफी बढ़ जाता है। बेहतर होगा कि परीक्षा में पूछे जानेवाले सभी विषयों की गहन तैयारी की जाए। जो सब्जेक्ट कमजोर है, उसे पहले पढ़ें। अगर आप इस तरह की रणनीति बनाकर तैयारी को अंतिम रूप देते हैं, तो आप इस परीक्षा में अवश्य सफल हो सकते हैं।

आईईएस एकेडमी की करिअर कांउसलर ज्योति से बातचीत पर आधारित।





 

Sunday 9 June 2013

लाखों में सैलरी.. ....



अब पूरी होगी चाहत हाई सैलरी देगी राहत



बढती मंहगाई के दौर में हर इंसान चाहता है कि उसकी सैलरी लाखों में हो, लेकिन सबके साथ ऐसा मुमकिन नहीं हो पाता है, वहीं अगर आप सही प्रोफेशन का चुनााव करते हैं तो आपकी हाई सैलरी पैकेज की जॉब पाने की चाहत पूरी हो सकती है। यहां हम पेश कर रहे हैं, कुछ ऐस्ो प्रोफेशन जो बेहतर सैलरी पैकेज प्रोावाइड करवाने में हमेशा आगे माने जाते हैं। इनमें से प्रमुख प्रोफेशंस कुछ इस प्रकार हैं।
लीड सॉफ्टवेयर इंजीनियर
आज के बदलते दौर में कंप्यूटर इंजीनियरिग ने अपनी पकड़ समय के साथ-साथ मजबूत कर ली है। इससे जुूड़े प्रोफ ेशन अच्छी सैलरी दिलवाने में हमेशा मददगार रहे हैं, शायद इसी वजह से यह क्ष्ोत्र युवाओं कुछ ज्यादा ही प्रचलित रहता है। कंप्यूटर इंजीनियरिग दो विषयों पर आधारित है- कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और कंप्यूटर हार्डवेयर। प्रमुख रूप से एक लीड सॉफ्टवेयर इंजीनियर का कार्य कंप्यूटर को चलाने के लिए विभिन्न प्रोग्राम तैयार करवाना होता है। साफ्टवेयर इंजीनियर अपने स्टाफ को लीड करता है, साथ ही सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन की क्षमता व उनकी टेस्टिंग की जिम्मेदारी भी निभाता है।
एक सफल साफ्टवेयर इंजीनियर बनने के लिए आपके पास कम से कम कंप्यूटर सांइस से जुड़ी बैचलर डिग्री होना बेहद जरूरी है, और वहीं अगर आप पोस्टग्रेजुएट डिग्री रखते हैं तो यह आपकी सफलता में चार चांद लगा देता है। एक साफ्टवेयर प्रोफेशनल की सैलरी पैकेज 5 लाख से 14 लाख तक हो सकती है।
आईटी मैनेजर
दिनोंदिन बढ़ रही तकनीकि ने जहां लोगों के कामकाज को आसान बनाया है, वहीं दूसरी ओर इसकी बढ़ती पहंुच ने इस क्ष्ोत्र में करियर के नये विकल्पों को पैदा किया है। और इसीलिए यह क्ष्ोत्र छात्रों के लिए हॉट-टॉक बना हुआ है। देश के साथ विदेशों में बढती आईटी प्रोफेशनल की मांग के कारण इस क्षेत्र में अच्छी कॅरियर संभावनाएं हैं। मौजूदा दौर में एक आईटी मैनेजर के कार्य बेहद चैलेंजिंग हो गया है। इन कार्य क्ष्ोत्र में हर वो चीज शामिल होती है, जो इंटरनेट ढांचे से जुड़ी होती है। ये कभी-कभी कंप्यूटर प्रोग्रामर, एनालिस्ट, तकनीक विश्ोषज्ञ, वेबडिजाइनिंग व इंटरनेट से जुड़े सारे कायोर्ं के लिए जिम्मेदार होते हैं। इनका सैलरी पैकेज 3 लाख से 22 लाख रूपये पर एनम हो सकता।
प्रोडक्ट मार्केटिंग मैनेजर
प्रोडक्ट मार्केटिंग मैनेजर का कार्य अन्य सभी प्रोफेशंस की ही तरह बेहद चैलेंजिंग होता है। रोज-रोज लांच हो रहे नये प्रोडक्ट व उनकी सेलिंग के लिए किए जा रहे प्रयास इस क्ष्ोत्र को हद से प्रतियोगी बना दिया है। एक प्रोडक्ट मैनेजर पर अपने प्रोडक्ट को मार्केट में स्थापित करने की अहम जिम्मेदारी होती है, साथ ही इन्हें अपने प्रोडक्ट की कीमत को भी लोगों की जेब के अनुसार ही रखना होता है। इनके अन्य कार्यों में प्रोडक्ट को लोगों के दिमाग में फिट रखने या यूं कहें जुबान पर रटाने का जिम्मा होता है, हालांकि यह कार्य विज्ञापन विभाग का होता है, लेकिन इस कार्य में इनका भी अहम किरदार होता है। एक प्रोडक्ट मार्केटिंग मैनेजर की सालाना सैलरी पैकेज करीब 4 लाख से 26 लाख तक के बीच रहता है।
इंजीनियरिंग म्ौनेजर
एक सफल इंजीनियरिंग मैनेजर का कार्य मुख्यता अपने जूनियर इंजीनियर्स व सांइटिस्ट को हमेशा नया व क्रिएटिव करने के लिए मोटीवेट करना होता है। इनकी ड्यूटीज में उत्पादन की क्वालिटी को कंट्रोल करना व उसे बेहतर करना होता है। साथ ही जुड़े नई खोज व शोध कार्यों को सफलता पूर्वक अंजाम देना होता है। एक सफल इंजीनियरिंग म्ौनेजर बनने के लिए इंजीनियरिंग में बैचलर डिग्री होनी आवश्यक होती है। इससे जुड़े प्रोफेशनल्स की वार्षिक आय करीब 4 लाख से 21 लाख तक हो सकती है।
टैक्स मैनेजर
इस क्ष्ोत्र के प्रोफेशनल्स की कार्यश्ौली में टैक्स, व्यापार के लिए संपूर्ण तैयारी व योजना को मूर्त रूप देना होता है। साथ ही व्यापार में हो रहे नफे-नुकसान का विश्लेषण करना व राजस्व का देखभाल करना होता है। टैक्स मैनेजर के अन्य कार्यों में टैक्स बचत की स्ट्रेटजी तैयार करना व कस्टमर्स को सैटिस्फ ैक्शन प्रोवाइड करना साथ ही फाइनेंस से जुड़े डाटा क ो सुरक्षित रखना व वाणिज्य के क्ष्ोत्र का विकास करना भी प्रमुख रूप से शामिल होता है। टैैक्स म्ौनेजर बनने के लिए आपके पास अकाउंट या फाइनेंस से जुड़ी ग्रेजुएट डिग्री होना इस क्ष्ोत्र में सफल होने के लिए पहली सीढ़ी माना जाता है। इस क्ष्ोत्र से जुड़े प्रोफेशनल्स की वार्षिक आय 3 लाख से 29 लाख के बीच हो सकती है।
सेल्स डायरेक्टर
बाजार में नये-नये प्रोडक्ट के आने से इनकी बिक्र ी के लिए प्रयोग हो रहे हथकंडों ने इस क्ष्ोत्र को बेहद प्रतियोगी बना दिया है। हालांकि जितना यह क्ष्ोत्र चैलेजिंग है उतना ही ज्यादा मनी अर्निंग का श्रोत भी है। इस क्ष्ोत्र से जुड़े प्रोफेशनल्स की जिम्मेदारी होती है कि वो प्रोडक्ट को सेल करने के लिए पूरी तैयारी करनी होती है। ये अपने स्टाफ को नई एक्टीविटीज के जरिए उत्पाद की बिक्री बढ़ाने के लिए सुपरवाइज करते हैं, साथ ही उत्पाद की सेल बढ़ाने के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार होते हैं, इन्हें राजस्व इकट्ठा करने की भी कला का उपयोग करना होता है, जिससे कंपनी को फायदा पहुंचता है। इस क्ष्ोत्र से जुड़े प्रोफेशनल्स को हैंडसम सैलरी पैकेज ऑफर की जाती है, जोकि 12 लाख से 58 लाख तक हो सकती है। इस फील्ड से जुड़ने के लिए छात्रों को बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन या मार्केटिंग में बैचलर डिग्री या पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री होना सफलता पाने के लिए अहम होती है।

Saturday 8 June 2013

दुनिया को थोड़ा और स्टाइलिश बनाते हैं.....



डिजाइन करें खुद का भविष्य




अगर आप एक क्रिएटिव पर्सनालिटी हैं, और अपने काम को क्रिएटिव करने में कोई कसर नहीं छोड़ते, तो डिजाइनिग इंडस्ट्री आपका इंतजार कर रही है। डिजाइनिग में करियर आपके लिए बेहतरीन साबित हो सकता है। अक्सर डिजाइन को ही किसी चीज की सक्सेस का आइना माना जाता है। यदि डिजाइन अच्छी नहीं है, तो समझ लीजिए कि बाजार में वह चीज अपने विराधी प्रोडक्ट के मुकाबले रिजल्ट बेहतर नहीं दे सकती । डिजाइनिग का मतलब किसी टॉपिक को विजुअली प्रदर्शित करना है, जिससे वह दिखने में आकर्षक लगे।
इस फील्ड में करियर बनाने के लिए क्रिएटिविटी के साथ आपकी स्किल्स का विकसित होना बेहद जरूरी होता है। आर्ट एंड डिजायन का कोर्स करने के बाद देश-विदेश में काफी ऑप्शन मुहैया होते हैं। इस फील्ड में एक्सपर्ट कई प्रकार के होते हैं। पे-पैकेज भी ठीक ही मिलता है। ज्यादातर काम प्राइवेट सेक्टर में ही उपलब्ध है। आप किसी प्रिटिग प्रेस से लेकर किसी बड़े प्रोडक्शन हाउस तक को जॉइन कर सकते हैं। यानी आप अपने कदम फिल्मी दुनिया में भी रख सकते हैं।
कुछ ऐसे ही क्रिएटिव व डिजाइनिंग प्रोफ ेशन से रू बरू करवाते हैं आपको, जिनकी मार्केट में जबरदस्त मांग है।
इंटीरियर डिजायनर
एक इंटीरियर डिजायनर रूप में करियर सवांरना मतलब आपके पास क्रिएटीविटी का भण्डार होना माना जाता है। इस प्रोफेशन से जुड़े प्रोफेशनल्स के कार्यक्ष्ोत्र में घर की साजसज्जा करना व उसको अच्छे से सवांरना होता है। इसमें घर की लाइटिंग से लेकर कलर व डिजायन से लेकर स्टाइल तक को मेंटेन क रना होता है। इस प्रोफेशन में करियर को सवांरने के लिए इंटीरियर डिजायनिंग में बैचलर डिग्री लेनी होती है। इस क्ष्ोत्र में सैलरी की कोई थाह नहीं है, मतलब आपकी क्रिएटिविटी पर आपकी स्ौलरी निर्भर करती है।
लेआउट डिजायनर
आमतौर से एक लेआउट डिजायनर का काम न्यूजपेपर-मैग्जीन के पेजेस, ब्रोसर्स, वेबसाइट के पेजेस के ढांचे को आकर्षक बनाना होता है। इनका कार्य पूरी तरह से कंप्यूटर पर आधारित होता है, जो कि विभिन्न सॉफ्टवेयर्स के जरिए पूरा करते हैं। रोज बढ़ रही तकनीक ने इनके कार्य को बेहद स्टाइलिश बना दिया है। इससे क्ष्ोत्र से जुड़े प्रोफेशनल्स की सैलरी इनके कार्य की तरह ही आकर्षक होती है, आज मार्केट में काबिल लेआडट डिजायनर्स की मांग बढ़ गई है।
सेट डिजायनर
सेट डिजायनर आमतौर से किसी द्रश्य का बैकग्राउंड उस सीन की मांग के अनुसार बनाते हैं। इनका कार्य मुख्य रूप से फिल्म, एलबम, गानों के लिए सही लोकेशन तैयार करना होता है। एक सेट डिजायनर का कार्य बेहद जटिल व रचनात्मक होता है। इस प्रोफेशन में ग्रोथ के चांसेस बहुत ज्यादा होते हैं साथ ही इनकी आमदनी भी बेहद आकर्षक होती है।
फर्नीचर डिजायनर
जहां कुछ समय पहले तक इस कार्य को केवल आम लोग ही किया करते थ्ो, वहीं आज इसमें करिअर सवांरने के लिए बाकायदा कोर्सेस भी जारी किए जा चुके हैं जो कि इस क्ष्ोत्र में उत्पन्न हो रहे रोजगार के अवसरों का सूचक हैं। इस क्ष्ोत्र में करियर सवांरने के लिए आपका लकड़ियों के बारे में नई-नई जानकारी रखने का शौक होना कहीं तक फायदेमंद साबित होता है।
ग्राफिक डिजायनर
प्रमुख रूप से एक ग्राफिक डिजाइनर का काम अपने क्लाइंट के लिए ऐसे क्रिएटिव आइडियाज तैयार करना होता है, जो कस्टमर के संस्थान या प्रोडक्ट को अलग पहचान दे सकें। इस काम के लिए रचनात्मकता सबसे पहली जरूरत है। आज दिन प्रतिदिन नए डिजाइनों का आगमन हो रहा है, जो इन्हीं ग्राफिक डिजाइनरों की देन है। जबकि वास्तविकता यही है कि अब इनका कार्य सिर्फ हाथ से स्केच और कार्टून बनाना नहीं रहा है।
ज्वेलरी डिजायनर
आभूषण के डिजाइन बनाने का काम अब सिर्फ सुनारों का नहीं रह गया है। यह काम सुनारों की दुकानों से निकलकर अब डिग्रीधारी प्रोफेशनल्स के पास आ गया है।
आज ज्वेलरी लोगों के लिए लाइफ स्टाइल तथा स्टेटस सिबल बन चुकी है। इस प्रकार बदलते ट्रेंड के चलते ज्वेलरी डिजाइनिग एक शानदार करियर के रूप में युवाओं को अकर्षित कर रहा है। इतना ही नहीं आकर्षण के साथ दिनों दिन इस क्षेत्र में करियर की संभावनाएं भी बढ़ रही हैं।

देश के प्रमुख डिजाइनिंग संस्थान


नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी, नई दिल्ली
सॉफ्ट स्कूल ऑफ टेक्नोलॉजी,पुने  
नेशनल स्कूल ऑफ क्रिएटिव कम्यूनिकेशन,बंगलौर



Friday 7 June 2013

कम्यूनिकेशन स्किल्स

बेहतर कम्यूनिकेशन स्किल्स से राज करें दुनिया पर


रिजवान खान


आज हर कोई जल्द से जल्द सफलता पाना चाहता है, इसके लिए वो सार्टकट का यूज करता है, लेकिन हम अच्छी तरह इस बात से वाकिफ हैं कि सफलता का कोई सार्टकट नहीं होता है। इस प्रतियोगी युग में हमें इसके लिए अपनी कम्यूनिकेशन के तरीकों को बेहतर करने की जरूरत होती है।
हम इस समाज में हर पल एक दूसरे से डायरेक्टली या इनडायरेक्टली बातचीत करते हैं। आज कम्यूनिकेशन के विभिन्न साधनों की खोज के कारण संचार का महत्व काफी बढè गया है। ऐसे में सफलता के लिए एक विशेष गुण की जरूरत होती है, जिसे हम संचार कौशल कहते हैं। संचार वह प्रक्रिया है जिससे हम अपने संदेशों को दूसरो तक पहुंचाते हैं। संचार से आपसी रिश्तांे में नजदीकी आती है। आज हम चाहे सार्वजनिक,सरकारी या निजी किसी भी क्षेत्र में कार्य करे, अपने कार्य में निपुण होने के लिए संचार कौशल को विकसित करना जरूरी है संचार कौशल को विकसित करने के लिए हर व्यक्ति में नीचे दिए गए बिंदुओं का होना अति आवश्यक है।

प्रैक्टिस की जरूरत
कम्यूनिकेशन स्किल्स को डेवलप करने के लिए व्यक्ति में लगातार प्रैक्टिस का होना बेहद जरूरी है। यह अभ्यास लगातार तभी हो सकता है,जब हम अपनी रोजमर्रा की दिनचर्या में बातचीत स्पष्ट एंव सरल तरीके से करें। किसी भी परिचित एवं नए व्यक्ति से कम्यूनिकेशन के नए नए तरीके सीखने में शर्म महसूस न करें।

मिलीजुली भाषा का प्रयोग न करें
जब भी हम किसी से बातचीत करंे तब हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि प्रयोग किए जा रहे शब्दांे ,वाक्यों या आवाज का स्वर वहां के माहौल के अनुरूप हो। बातचीत के दौरान अपने चेहरे पर सदा मुस्कान व खुशी बनाए रखंे। अपने बातचीत को हमेशा पॉजिटिव रखंे और एक ही भाषा का प्रयोग सही रहता है, कभी-कभी हम देखते हैं कि लैंग्वेज बैरियर हमारे लिए घातक सिद्ध हो जाता है। इस लिए उस भाषा का प्रयोग करे जो सामने वाले शख्स को आसानी से समझ में आ जाए।
साल्यूशन रोज नये-नये लोगों से बातचीत करें, अखबार व पत्र-पत्रिकाओं को जोर जोर से बंद कमरे या बंद जगह पर पड़ें, ऐसा करते वक्त इस बात का ध्यान रख्ों कि आपकी इस प्रक्रिया से किसी दूसरे व्यक्ति को परेशानी न हो।

आई कांटेक्ट बनाए रख्ों
बातचीत के दौरान हमारा यही लक्ष्य होना चाहिए कि सामने वाला शख्स आपकी बात को ध्यान से सुने। इसके लिए हम अपनी आंखों के एक्सप्रेशन का यूज कर सकते हैं। ताकि सामने वाले शख्स को ऐसा न लगे कि आप सिर्फ एक तरफ ही फोकस रहे हैं। वैसे भी आंखो की रूमानियत शख्स के दिमागी शब्दों को आसानी से बयां करती हैं। इसलिए आई कांटेक्ट पर विश्ोष ध्यान दें।
साल्यूशन डेली सुबह-शाम योग करें व हरे फल व सब्जिओं का इस्तेमाल करें, इसके अलावा प्लेन पेपर पर ब्लैक पेन से एक छोटा बिंदु बनायें, जिसे रोजाना सुबह-शाम ध्यान से करीब आध्ो घंटे तक देख्ों इससे आपके आई कांटेक्ट में वृद्धि होती है।
कांफीडेंस लूज न करें
अक्सर हत बातचीत के दौरान नर्वस होने लगते हैं जोकि हमारे लिए खतरनाक साबित होती है। बातचीत के वक्त अगर हमारी सोच में साहस एवं विश्वास होगा तो हमारी बातचीत खुद-ब-खुद पॉजिटिव होगी। हमंे यह ध्यान रखना चाहिए कि सामने वाला व्यक्ति भी एक इंसान ही है, इसलिए उसे बेवजह हौव्वा न बनाएं, और अपने ऊपर डर को हावी न होने दें।
  • साल्यूशन हमेशा करेंट के घटनाक्रमों से अवेयर रहें व उनसे जुड़ी एक ब्रीफ नॉलेज रख्ों, जोकि आपके कांफीडेंस को बातचीत के दौरान बूस्ट कर देगा, और आप खुद को असहाय नहीं होने देंगे। अक्सर देखा गया है कि सामने वाले के प्रश्न का जवाब न दे पाने का कारण, हमारी अंडर नॉलेज ही होती है। इसलिए समसामयिक घटनाक्रमों से हमेशा अवेयर रहें।
स्पष्टता व मिठास
बातचीत के दौरान हमंे शब्दांे व वाक्यो में स्पष्टता लानी चाहिए। भाषाश्ौली में सदा मिठास होनी चाहिए। अगर बात स्पष्ट न हो तो उसे दोबारा स्पष्ट करना चाहिए। शब्दों व वाक्यों को व्यक्तिगत तौर पर स्पष्ट करना चाहिए। आपकी आवाज भी गौरवमयी एहसास कराने वाली होनी चाहिए
साल्यूशन अक्सर हम ये ध्यान देते हैं कि हमारी बात लोगों को बुरी लग जाती है या यूं कहें कि आपकी भाषा श्ौली ऐसी होती है जो दूसरे लोगों के लिए परेशानी का सबब बन जाती है। ऐसे में हमें सभ्य व शिक्षित लोगों की संगत में रहना चाहिए, साथ ही साथ धार्मिक व अध्यात्मिक पुस्तकों का अध्ययन करना लाभकारी होता है।

इनके अलावा भी आप खुद के प्रयास से अपनी कम्यूनिकेशन स्किल को प्रभावी तौर पर सुधार सकते हैं। इसके खातिर आप प्राइवेट संस्थानों की भी मदद ले सकते हैं, जो समय-समय पर कम्यूनिकेशन स्किल्स पर नये-नये कार्यक्रम आयोजित करते रहते हैं। अपनी दिनचर्या में उपरोक्त बिंदुओं को समाहित कर हम अपनी कम्यूनिकेशन क्षमता को बढा सकते हंै और सफलता की ओर आसानी से पहुंच सकते हैं।




Thursday 6 June 2013

घर बैठे कमाएं हद से ज्यादा







17/०5/13

अनुवादक : दो भाषाओं का ज्ञान बनाएगा आपको महान


रिजवान खान


एक सफल अनुवादक बनने की खातिर भाषा पर पकड़ होना आपके करिअर को बुलंदियों पर पहुंचा देता है। दो या दो से अधिक भाषा का ज्ञान होना सफलता की डगर को में चार चांद लगा देता हैै। अनुवाद का मानव सभ्यता और संस्कृति के विकास में बहुत ही दर्शनीय योगदान है। दरअसल अनुवाद एक पुल की तरह कार्य करता है जो दो भाषाओं, दो संस्कृतियों और दो सभ्यताओं को आपस में जोड़ता है। भूमंडलीकरण के इस दौर में अनुवादकों की मांग बहुत ज्यादा बढ़ रही है।
नौकरी की असीम संभावनाएं
अनुवाद करने वालों के लिए प्रकाशन हाउसेस में हमेशा स्थान होता है। अखबार और पत्रिकाओं में भी अनुवादक का बहुत काम होता है, इसलिए प्रिंट मीडिया में भी अनुवादकों के लिए अच्छे-खासे अवसर मौजूद होते हैं।
निजी क्षेत्र के अलावा सरकारी संस्थानों में भी अनुवादकों के लिए रोजगार के कई अवसर उपलब्ध होते हैं। राजनीतिक पार्टियों को भी अनुवादकों की भारी मात्रा में जरूरत होती है।
कई लोग अनुवाद को केवल हिदी और अंग्रेजी के साथ जोड़कर ही देखते हैं। जबकि ऐसा नहीं है, अनुवाद के संदर्भ में हिदी और अंग्रेजी का क्षेत्र बहुत विशाल है, इसके साथ-साथ अन्य भाषाओं में भी अनुवादक के लिए तमाम अवसर उपलब्ध हैं। यदि हम अपने देश के बारे में बात करें तो हिदी के अलावा गुजराती, मराठी, कन्नड़, तमिल जैसी भाषाओं में भी अनुवादकों के लिए अपार संभावनाएं हैं।
इनका रख्ों ध्यान
अनुवादक के रूप में काम करने के लिए पहली शर्त यही होती है कि जिन दो भाषाओं के अनुवाद का काम आप करना चाहते हैं, उन दोनों पर आपका पूरा अधिकार हो, उन दोनों भाषाओं का व्याकरण, पंक्चुएशन, फारमेटिंग के साथ दोनों भाषाओं के सौंदर्य की समझ होना भी बहुत जरूरी है।
श्ौक्षिक योग्यता
अनुवादक के पास किन्ही दो भाषाओं के साथ-साथ ग्रेजुएट की डिग्री होनी चाहिए, यदि आप पोस्ट-ग्रेजुएशन की डिग्री रखते हैं तो एक अनुवादक के रूप में आपकी योग्यता में वृद्धि होती है। अनुवाद के क्षेत्र में बढ़ते अवसरों को देखते हुए कई विश्वविद्यालयों ने अनुवाद में एक वर्ष का डिप्लोमा और डिग्री कोर्स भी प्रारंभ किया है। इन पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेकर भी अनुवाद में महारत हासिल की जा सकती है।


प्रूफरीडर : शब्दों को दें नई जिंदगी

यूं तो मौजूदा दौर में कैरियर बनाने के लिए बहुत से विकल्प हैं, लेकिन शिक्षा के बाजारीकरण ने इसे और अधिक चुनौतीपूर्ण बना दिया है। अपनी योग्यता तथा क्षमता का सही उपयोग कर आप इस क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत कर सकते हैं। और यदि आप हिदी या अंग्रेजी अथवा दोनों भाषाओं पर आपकी अच्छी पकड़ है, तो प्रूफ-रीडिग में आपके लिए अच्छी संभावनाएं बन सकती हैं। साथ ही किसी अन्य क्षेत्रीय भाषा की जानकारी आपके लिए और भी लाभदायक हो सकती है।
कार्य प्रसार
प्रूफ-रीडर के कार्य क्षेत्र में लेखक द्बारा हस्त लिखित अथवा वास्तविक प्रति का कंप्यूटर द्बारा प्रिंटेड प्रति से मिलान करना, उसमें गल्तियों को छांटना तथा उसके लिए उचित चिन्हों का प्रयोग करना शामिल होता है। कार्य को कुशलता पूर्वक व दिए गये समय के अंदर पूरा करने के लिए किसी भी पूफ-रीडर का भाषा पर पकड़ होना बहुत आवश्यक हैà, एकाग्रता तथा शांतिपूर्ण माहौल का होना भी इसके लिए बेहद जरूरी है।
संभावनाओं का सागर
जहां तक इस क्षेत्र में रोजगार की संभावनाओं का सवाल है, तो इस क्षेत्र में अपार संभावनाएं मौजूद हैं। प्रकाशन उद्योग के बढ़ते बाजार ने पब्लिशिग हाउसों तथा समाचार-पत्रों आदि में कुशल पूफ-रीडरों की मांग बढ़ा दी है। वैसे अनुभव, व्याकरण आदि पर थोड़ी-सी अतिरिक्त मेहनत तथा कंप्यूटर ( डीटीपी) की जानकारी आपके लिए प्रूफ- रीडर से सह-संपादक तक का मार्ग खोल सकती है। इस क्षेत्र में आप पार्ट-टाइम या फ्रीलांसर के तौर पर कार्य करके भी अच्छी आय का जुगाड़ कर सकते हैं। इसके लिए आप किसी भी पब्लिशिग हाउस या समाचार पत्र के संपादकीय विभाग में व्यक्तिगत रूप से संपर्क कर सकते हैं। हालांकि अधिकांश पत्रों में यह कार्य समाचार डेस्क के सदस्यों द्बारा ही पूर्ण कर लिया जाता है।
कुछ बिंदु जो हैं बेहद जरूरी
  • प्रूफ-रीडिग के लिए आवश्यक एकाग्रता के लिए आप नियमित ध्यान एवं योग आदि की भी सहायता ले सकते हैं।
  •  भाषा पर अच्छी पकड़ के लिए नियमित रूप से हिदी तथा अंग्रेजी भाषा के समाचार पत्र पढ़ना लाभदायक साबित हो सकता है।
  •  शब्द कोश (डिक्शनरी) आदि का अधिक उपयोग करना सीखें।
  • प्रूफ-रीडिग के आवश्यक चिन्हों के लिए प्रकाशन विभाग , भारत सरकार द्बारा प्रकाशित तथा बाजार में उपलब्ध अन्य पुस्तकों की मदद ली जा सकती है।
  • कंप्यूटर की आवश्यकतानुसार जानकारी के लिए आप छोटी अवधि का डीटीपी कोर्स भी कर सकते हैं , जो किसी भी संपादकीय विभाग में कार्य करने के लिए मददगार सिद्ध हो सकता है।



होमट्यूटर: सफलता के पीछे है इनका हाथ

अक्सर हमने देखा व सुना है कि हर सफल पुरूष के पीछे एक महिला का हाथ होता है। ठीक उसी तरह एक सफल विद्यार्थी के पीछे उसके अध्यापक का हाथ होता है। अगर आप भी अध्यापक बनना चाहते हैं, लेकिन किसी कारणवश आप ऐसा नहीं कर पाए हैं तो, आपके पास एक होम ट्यूटर बनने का अच्छा विकल्प मौजूद है।
अच्छा है स्कोप
भागदौड़ भरी जीवन श्ौली ने आज लोगों के पास से वक्त को छीन लिया है, जिस कारण अभिवावकों के पास समय की कमी है और वो अपने बच्चे के होमवर्क पर ध्यान नहीं दे पाते है। जिसका परिणाम उनके बच्चे की विफलता के रूप में सामने आता है। इस समस्या से बचने की खातिर और अपने बच्चे को इस प्रतियोगी दौर में सबसे आगे ले जाने की खातिर अभिवावकों में होमट्यूटर की सेवाएें लेना चलन बढ़ा है। जोकि होमट्यूटर के लिए नौकरी पाने व घर बैठे पैसे कमाने अच्छा जरिया साबित हो रहे हैं।
होमट्यूटर का कार्य
सामान्यतय: होमट्यूटर का कार्य एक छात्र को उसकी क्षमताओं से अवगत कराना व उन्हें विकसित कर उसे एक सफल इंसान बनाना होता है। आज के दौर में होम ट्यूटर की मार्के ट में अच्छी खासी डिमांड है, होमट्यूटर की सेवाओंं का पारिश्रमिक भी ठीक-ठाक ही होता है। अक्सर होमट्यूटर का वेतन उसकी विषय नॉलेज पर भी निर्भर करता है।
सफल होने के केंद्रबिंदु
एक सफल व प्रसिद्ध होमट्यूटर बनने की खातिर आपमें एक विषय विश्ोष पर पकडु होना बेहतर साबित होता है।
आपमें सब्जेक्ट को आसान भाषा में समझाने की कला का होना, आपको नई पहचान देता है।
एक से ज्यादा भाषाओं व करेंट की जानकारी आपको इस क्ष्ोत्र में अच्छा वेतनभोगी बनाती है।
आपका भाषा के साथ-साथ व्याकरण में पकड़ बेहद मजबूत होनी चाहिए, साथ ही समसामयिक खबरों से भी जागरूक होना चाहिए।




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