Saturday 29 June 2013

मुसीबत में साथी




 आपदा प्रबंधन में करिअर



पूरे संसार में छोटी-बड़ी आपदाएं आती रहती हैं, और इनमें जान-माल की बड़े पैमाने पर नुकसान भी होता है। उत्तराखंड की स्थित खुद इस बात को बयां कर रही है। इनमें प्राकृतिक आपदाएं जैसे बाढ़, सूखा, भूस्खलन, समुद्री तूफान आदि शामिल हैं। जाहिर है, इस प्रकार की विपदाओं को कम से कम सामना करना पड़े और समस्या की स्थिति में नुकसान को कम करने एवं पीड़ित लोगों की मदद कैसे की जाए, इस बारे में समस्त देशों की सरकारें और स्वयं सेवी संगठन काफी गंभीरता से रणनीतियां तैयार करने में लगे हुए हैं।
कार्यक्ष्ोत्र
डिजास्टर मैनेजमेंट या आपदा प्रबंधन के कार्यक्षेत्र में सिर्फ आपदा के बाद के पुनर्निर्माण के कामकाज को संभालना या पीड़ित व्यक्तियों की मदद करना भर नहीं होता है बल्कि आपदा की पहले से ही सूचना देने की स्थिति का विकास और होने वाले नुकसान को कम करने व आपदा को टालने के विकास में योजना बनाने का कार्य भी शामिल होता है।
प्रवेश योग्यता
इस क्ष्ोत्र में करिअर बनाने के लिए प्रोफेशनल्स को कठिन परिस्थितियों में तैयार रहने के अलावा मुश्किल हालात में जुझारू प्रवत्ति का होना जरूरी है। इस क्ष्ोत्र में प्रवेश के लिए श्ौक्षिक योग्यता बारहवीं है लेकिन अगर आप ग्रेजुएट हैं तब भी आपके पास करिअर सवांरने अपार अवसर उपलब्ध हैं। इस प्रोफे शन के अलावा शायद ही समाज कल्याण के साथ आत्मसंतुष्टि और करियर ग्राफ को भी साथ-साथ आसमान की ऊंचाइयों तक पहुंचाने का मौका कोई और क्षेत्र दे पाए। देश में ही सरकारी एवं प्राइवेट सेक्टर के संस्थान अस्तित्व में आ गए हैं। इनमें सर्टिफिकेट से लेकर एमबीए स्तर तक के कोर्स उपलब्ध हैं।
जरूरी है पूरी जानकारी
अक्सर युवा इस प्रोफेशन को अपना तो लेते, लेकिन इसके चुनौतीपूर्ण व कठिन कार्यश्ौली में खुद को फिट नहीं कर पाते, और इस प्रोफेशन से पीछा छुड़ाने लगते हैं। इसलिए इस प्रोफेशन को अपनाने से पहले इस प्राफेशन से संपूर्ण जानकारी कर लेना बेहद महत्वपूर्ण है। इस क्ष्ोत्र के प्रोफेशनल्स लोगों की जिंदगी को बचाते हैं इसके लिए उन्हें खुद की जान जोखिम में डालनी पड़ती है। क्षतिग्रस्त या पीड़ित लोगों की पुर्नस्थापना तथा लोगों के जीवन को दुबारा सामान्य स्तर पर पहुंचाने के लिए प्रोफेशनल्स से अपेक्षाएं भी की जाती हैं। तो देखा जाए तो यह कार्यक्षेत्र चुनौतियों के साथ-साथ संवेदनात्मक पहलुओं को भी खुद में समेटे हुए है।
संभावनाओं का सागर
अगर आपकी रूचि लोगों को सहायता पहुंचाने में है, उनकी मदद करने में है, इसके लिए आप किसी भी हद तक जा सकते हैं। तो निश्चित ही यह प्रोफेशन आपके करिअर के लिए बेहतर साबित होगा। इस प्रोफेशन के तहत आपको प्रबंधन के सारे कार्यकलापों से अवगत कराया जाता है। इसके अलावा आपको समाज कल्याण के हित में संपूर्ण संवेदनाओं के साथ जानकारी मुहैया कराई जाती है। इसीलिए जरूरी है कि ऐसे ही युवा इस दिशा में करिअर निर्माण की पहल करने के बारे में सोचें जो मानवीय संवेदनाओं को समझते हों, और समाज हित में कार्य करने का जज्बा हो।
सरकार कर रही सहयोग
भारत जैसे विकासशील देशों में अक्सर ऐसे छोटे-बड़े हादसे तथा अन्य प्राकृतिक आपदाओं से विभिन्न क्षेत्रों के लोगों को गुजरना पड़ता है। यही कारण है कि देश में आपदा प्रबंधन का एक अलग से प्राधिकरण केंद्र सरकार के स्तर पर विकसित किया गया है और इसी की शाखाएं तमाम राज्यों में बनाई जा रही हैं। इस कार्य के लिए सरकार की ओर से पर्याप्त धनराशि भी समय-समय पर मुहैया करा रही है और इस क्ष्ोत्र के प्रोफशनल्स को रोजगार के नये अवसर भी प्रदान कर रही है, इसके लिए बाकायदा नेशनल डिजास्टर रेस्क्यू फोर्स का गठन भी किया जा चुका है, युवाओं को इसमें भारी संख्या में शामिल कर रोजगार उपलब्ध कराया जाता है।
कठिन ट्रेनिंग
आपदा प्रबंधन में करिअर संवारने के लिए आपको कठिन ट्रेनिंग प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। ट्रेनिग में प्रमुख तौर पर कुछ अहम पहलुओं पर ध्यान दिया जाता है।
आपदा के कुप्रभाव को कम से कम करने पर ध्यान देना।
आपदाग्रस्त लोगों को तुरंत बचाव एवं राहत की व्यवस्था।
प्रभावित लोगों की पुर्नस्थापना और भविष्य में आने वाली आपदाओं से समय रहते कैसे निपटा जाए इसकी जानकारी मुहैया करना।
देखा जाए तो इस ट्रेनिग में कम समय में एक्शन लेने की कार्ययोजना और समस्त संसाधनों को एक प्रबंधक की तरह बहुत ही प्रभावी ढंग से संचालित करने पर ज्यादा जोर होता है।

शिक्षा संस्थान
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजास्टर मैनेजमेंट, नई दिल्ली।
डिजास्टर मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट, भोपाल।
डिजास्टर मिटिगेशन इंस्टीट्यूट, अहमदाबाद।
सेंटर फार डिजास्टर मैनेजमेंट, पुणे।
इंस्टीट्यूट ऑफ डिजास्टर मैनेजमेंट एंड फायर सर्विसेज, चंडीगढ़।





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