Tuesday 25 February 2014

समयचक्र

वक्त का पहिया

रुक जाओ कहां जा रहे हो तुम

तुम्हें फिक्र नहीं पीछे चल रहे

इस विषैले वातावरण की

जिसमें तुम घुलने वाले हो

बात को समझो

समझ गए तो वा..वा

नहीं तो जा..जा

यही होगा बाद में


जहां तुम जा रहे हो शायद वहां

तुम्हें वो न मिल पाए

जिसे तुमने छोड़ दिया था

गवां दिया था

बर्बाद कर दिया था

उस मौजपन में

जब वह तुम्हारे पास था


अब वह कहां मिलने वाला

क्योंकि वह तो कब का गुजर चुका है

वह वापस नहीं लौटता

यही तो सब कहते हैं

उसके जाने के बाद

बिदा होने के बाद


इसलिए तुम वापस लौट आओ

मान भी जाओ

कम से कम

अब जो तुम्हारे पास है

उसे तो मत गंवाओ

पछतावा होगा

माथा पीटोगे

जब पता चलेगा कि

वो तो समय था

और समय कभी वापस नहीं लौटता.......!!


 

 

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