Friday 1 August 2014

कई हजार ईसा पूर्व पैदा हुये अजूबे

विश्व के प्राचीन अजूबे


दुनिया बहुत सुन्दर है। प्रकृति ने अपने रंग से इस दुनियां को बहुत ही रंगीन बनाया है। समुद्र, पहाड़ और जमीन के मिलन से प्रकृति ने कुछ ऐसा नजारा हमारे लिए तैयार किया है जिसकी कल्पना करना इंसान के लिए कभी-कभी सपने जैसा हो जाता है। दुनिया में प्रकृति ने इतना रंग घोला है कि इंसान में भी इसे और सुन्दर बनाने की ललक पैदा हो गई। कभी अपनी याद के लिए तो कभी कला को समर्पण करने के लिए तो कभी किसी अन्य वजह से इंसान ने ऐसी कई रचनाएं की हैं जिनसे यह दुनिया और भी खूबसूरत बन गई है।
संसार में यूं तो इंसान द्बारा बनाई गई हजारों ऐसी कृतियां हैं जिन्हें देख आप अंचभे में पड़ जाएंगे लेकिन दुनिया के सात अजूबों की बात ही अलग है। अपनी शिल्प कला, वास्तु कला और भवन निर्माण कला के लिए दुनिया के सात अजूबे हमेशा चर्चा का विषय बने रहते हैं। आज बात कुछ प्राचीन एवं कई हजार ईसा पूर्व बूढ़े हो चुके अजूबों के बारे में।

 

मिस्र के पिरामिड 

मिस्र के पिरामिड दुनिया के प्राचीन सात अजूबों में एकमात्र सुरक्षित मिस्र के पिरामिडों का निर्माण आज से लगभग पांच हजार वर्ष पूर्व हुआ था। वास्तव में, ये पिरामिड मिस्र के शासकों के मकबरे हैं। सबसे बड़ा पिरामिड काहिरा से कुछ दूर गीजा कस्बे में स्थित है। यह राजा पैरोखूफू और उसकी रानी का मकबरा है। 481 फुट ऊंचे इस मकबरे के वर्गाकार आधार की प्रत्येक दीवार की लंबाई 75० फुट के लगभग है। इसमें बीस लाख से अधिक शिलाखंड हैं। माना जाता है कि दो हजार से भी अधिक मजदूरों ने बीस वर्षो तक कार्य करके इसे तैयार किया था।

मासोलस का मकबरा

संसार का तीसरा अजूबा हेलीकारनासस के शासक मासोलस का मकबरा था, जिसका निर्माण उसकी पत्नी ने करवाया था. यह लगभग सौ फुट ऊंचा था और उसके ऊपर घोड़े जुते रथ पर राजा-रानी की मूर्तियां थीं। निर्माण के कुछ ही दिनों बाद सकिदर महान के आक्रमण के कारण यह मकबरा ध्वस्त हो गया। राजा-रानी की मूर्तियां आज भी ब्रिटिश संग्रहालय में सुरक्षित हैं।

देवी डायना का मंदिर

विश्व का चौथा अजूबा एफसेस में देवी डायना का मंदिर था। आठ फुट ऊंचे खम्भों पर टिके छत वाले इस मंदिर का निर्माण ईसा से साढ़े तीन सौ वर्ष पूर्व टर्की में हुआ था। इस समय यह मंदिर बहुत पवित्र माना जाता था। लोग इसमें अपना धन एवं कीमती वस्तुएं रखकर निश्चिंत हो जाते थे। 262 ई. में गोथ्स ने इस मंदिर को जला डाला था।

हीजियोस की कांस्य प्रतिमा

दुनिया का पांचवां अजूबा हीजियोस की कांस्य प्रतिमा थी। जो लगभग सौ फुट ऊंची थी। यह रोड्स द्बीप में थी। इसका निर्माण ईसा से 28० वर्ष पूर्व हुआ था। निर्माण के 56 वर्ष बाद यह प्रतिमा भूकंप में नष्ट हो गयी। जीयस देवता की मूर्ति संसार का छठा अजूबा ओलम्पिया में स्थित जीयस देवता की मूर्ति थी। इसे प्रसिद्ध शिल्पकार फीडिसस ने ईसा से साढ़े चार सौर वर्ष पूर्व बनाया था। चालीस फुट ऊंची इस मूर्ति के कपड़े सोने के थे। शरीर हाथी दांत का बना था। मूर्ति की आंखें कीमती हीरों से बनी थीं। इस मंदिर को ईसाइयों ने नष्ट कर दिया था।

फैरोह का प्रकाश स्तंभ 

दुनिया का सातवां अजूबा सकिदरिया के बंदरगाह के पास एक द्बीप पर बना फैरों का प्रकाश स्तम्भ था। सफेद संगमरमर से बना यह प्रकाश स्तंभ छह सौ फुट ऊंचा था। इसका निर्माण ईसा से 283 वर्ष पूर्व हुआ था। यह प्रकाश स्तंभ डेढ़ हजार वर्षों तक ठीक हालत में रहा, उसके बाद भूकंप में नष्ट हो गया।





 

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