Monday 29 July 2013

शादी की खबरें हैं झूठी

उदय चोपडा और मेरी शादी की खबरें झूठी हैं - नरगिस फाखरी

ब्लैक गाउन में बैठी नरगिस से जब हम उनकी फिल्म 'मद्रास कैफे’ के सिलसिले में मिले तो उन्होंने हिदी को लेकर परेशानी जताई। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि लोगों को फटाफट हिदी में बात करते देख उनकी भी मंशा है कि वह जल्द हिदी में बात करें। फिलहाल इसके लिए वह काफी प्रयत्न भी कर रही हैं। मजे की बात यह है कि हिदी ना आने के बावजूद कैटरीना के नक्शे कदम पर चलती नरगिस ने फिल्म में अपने डायलाग्स खुद बोले हैं। फिलहाल प्रस्तुत है मजाकिया लहजे के साथ एक अलग अंदाज में नरगिस से हुई बातचीत के कुछ अंश।

मद्रास कैफे के बारे में क्या कहेंगी?

मद्रास कैफे एक बेहतरीन फिल्म है। अगर मैं यह कहूं तो कतई गलत नहीं होगा कि लंबे अर्से से मैं एक ऐसी ही फिल्म से जुड़ना चाहती थी जो रियल हो और रियलिस्टिक सब्जेक्ट पर हो। मुझे लगता है 'मद्रास कैफे’ से बेहतर कुछ और नहीं है। जब सुजित सर मेरे पास इस फिल्म को लेकर आए तो मैंनें कहानी सुनते ही उन्हें हां कर दिया और अपने किरदार की तैयारी में लग गई।
इस फिल्म में आप एक वॉर जर्नलिस्ट बनी हैं उसका अनुभव ?
मैं समझती हूं जर्नलिस्ट का काम अपने आप में काफी कठीन होता है उस पर अगर आप वार जर्नलिस्ट हैं तब तो समझिए हर समय आपको जान हथेली पर लेकर चलना होगा। एक तरफ बम के धमाके हैं तो दूसरी तरफ गोलियों की बौछार और इन सबके बीच आपको सारी खबरें अपने लोगों तक पहुंचानी है। इसके अलावा आप इस बात से अंजान हैं कि अगले पल आपके साथ क्या होगा लेकिन मुझे लगता है रिस्क लेकर ही आप आगे बढ सकते हैं।

क्या इसके लिए किसी खास वार जर्नलिस्ट से आपने रेफ्रेंस लिये हैं?

जी नहीं बल्कि मैंनें कई वार जर्नलिस्ट की लाइव फुटेज देखी। मैं उनका नाम नहीं बताना चाहूंगी लेकिन उन महिला जर्नलिस्ट को देखकर मैं इस नतीजे पर पहुंची कि ऐसे माहौल में भी अपनी सहनशक्ति और शांति बनाए रखते हुए कोई कैसे रिपोîटग कर सकता है। इन फुटेज के अलावा मैंने कुछ डाक्युमेंट्री देखी और सुजित सर से भी बात की। इसके लिए सबसे जरूरी चीज थी बाडी लैंग्वेज को दुरुस्त करना वर्ना मेरे जैसी लड़की ऐसे माहौल में सिर्फ डर के मारे चिल्ला सकती है।

निर्देशक सुजित सरकार का कहना है कि इस फिल्म को देखने के बाद लोग नरगिस की 'रॉकस्टार’ को भूल जाएंगे आप क्या कहेंगी ?

मैं क्या कहूंगी उन्होंने कहा है सो वह इस बात का जवाब मुझसे बेहतर देंगे। मैं सिर्फ यह कहना चाहूंगी कि मैं बहुत खुशनसीब हूं कि मुझे अपने करिअर की शुरुआत में ही अच्छे लोगों के साथ काम करने का मौका मिल गया। जहां तक 'रॉकस्टार’ और 'मद्रास कैफे’ की बात है तो दोनों फिल्में स्टायल, जानर और किरदार के मद्देनजर काफी अलग हैं। मैं समझती हूं सुजित सर के साथ काफी वक्त बिताया है सो वह रियल नरगिस को जान गए होंगे। मुझे खुशी है कि वह मेरे काम को सराह रहे हैं।

'रॉकस्टार’ के बाद क्रिटिक्स ने आपकी काफी कमियां गिनाईं थी वह लम्हा कैसा था ?

'रॉकस्टार’ के बाद क्रिटिक्स की कमियों ने काफी निराश किया था लेकिन पर्दे के पीछे की कहानी कोई नहीं जानता। हर इंसान यहां एक दूसरे को जज करने में लगे रहते है। मेरे लिए हिंदी फिल्मों में काम करना उतना ही मुश्किल था जितना यहां की एक्ट्रेस के लिए किसी चाइनीज फिल्म में काम करना। खासतौर से जब उसे कहा जाए कि चाइनीज सीखने के लिए उन्हें महज एक महीने का वक्त मिलेगा। मेरे लिए यह वाकई बहुत मुश्किल था फिर भी मैंने उसे एक चैलेंज की तरह लिया। मुझे काफी कुछ सुनने को मिला लेकिन ठीक है। जिन्दगी में सब कुछ अच्छा या सब कुछ बुरा नहीं होता। उतार चढ़ाव आते रहते हैं सो इट्स ओके।
हमनें सुना है इस फिल्म के लिए आपने कुछ एक्शन सिक्वेंस भी किया है उसके बारे में बताइए?
एक्शन सिक्वेंस से ज्यादा मुश्किल फिल्म के हेक्टिक शेड्यूल थे। फिर भी मेरे जिन एक्शन सिक्वेंस की चर्चा हो रही है उसका श्रेय सुजित सर को जाता है। उन्होंने सेट इतना खूबसूरत बनवाया था कि मैं भी ठगी सी रह गई। एक घटना का जिक्र करना चाहूंगी। दरअसल हुआ यूं कि मैं सेट में जब दाखिल हुई तो देखा कुछ गरीब लोगों के साथ एक औरत बैठी हुई थी जिसके बाल यहां वहां उड़ रहे थे। मुझे लगा यह कुछ भिखारी लोग हैं जो शायद कुछ मांगने आए हैं। थोड़ा आगे गई तो देखा धुंआ उड़ रहा है और मैं डर गई लेकिन फिर पता चला कि यह सेट है। वह अनुभव इतना रियल था कि उसे देखकर मेरे होश उड़ गए थे।

जॉह्न के बारे में क्या कहेंगी ? इस फिल्म में जॉह्न माचो मैन की जगह सीध-साधे आदमी बनें हैं सो किसी तरह की निराशा है?

बिल्कुल नहीं बल्कि मैं बहुत खुश हूं कि वह एक रियलिस्टिक किरदार निभा रहे हैं। मैंने सुना है इसके लिए उन्होंने अपना कुछ वजन भी घटाया है। जैसा कि मैंने कहा मुझे रियलिस्टिक फिल्में ज्यादा अपील करती हैं क्योंकि तभी किसी किरदार में ढलने के लिए आप मानसिक रूप से खुद को तैयार कर पाते हैं।
बालीवुड में अकसर गासिप का बाजार गर्म रहता है। आपको इसमें कितनी दिलचस्पी है ?
बिल्कुल नहीं, ना मुझे गासिप करना पसंद है और ना सुनना लेकिन अफसोस मैंने जिस प्रोफेशन को चुना है वहां यह सब आम बातें हैं। जर्नलिस्ट अपनी कापी इंट्रस्टिंग बनाने के लिए कुछ भी लिखते हैं। मैं जानती हूं मुझे इन सबके बीच रहना है लेकिन सबसे ज्यादा दुख तब होता है जब मैंने आपको अपना विश्वासपात्र मानते हुए अपने दिल की बात बता दी और आपने उसे मिसकोट कर दिया। तब मुझे ऐसा लगता है कि क्या यही मेरी अच्छाई का सिला है। मैं समझती हूं आपको मसाला चाहिए लेकिन इस तरह का मसाला क्यों जिससे दूसरे दुखी हो जाएं।

हाल ही में आपने 'फटा पोस्टर निकला हीरो’ में एक आइटम नंबर किया है। आपको नहीं लगता करियर के शुरूआत में इस तरह का कदम खतरनाक साबित हो सकता है ?

मेरे लिए आइटम नंबर फन है। जिंदगी में गंभीरता जरूरी है लेकिन इतनी गंभीरता भी नहीं कि हम जीना छोड़ दें। मैं हर लम्हे को जीना चाहती हूं। यह बात तो आप भी जानती हैं कि किसी भी चीज से ज्यादा लगाव दुख देता है सो क्यों उसे इतना बांधकर रखा जाए। मुझे भगवान जो दे रहे हैं मैं उसका लुत्फ उठाना चाहती हूं। मैं किसी तरह के दबाव या प्रतियोगिता के तहत काम नहीं करना चाहती। अगर मैं ऐसा करती हूं तो यह मुझे दुख देगा। लोगों को यह अधिकार है कि वह मेरे फैसलों को जज करें या उन्हें चैलेंज करें लेकिन मैं नहीं करना चाहती। पता नहीं मैं इस बालीवुड में कब तक रहूंगी लेकिन जब तक रहूं खुशी से रहना चाहूंगी।

'मद्रास कैफे के अलावा कोई और फिल्म साइन की है ?

फिलहाल एक फिल्म साइन की है लेकिन उस बारे में अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी। फिलहाल सिर्फ और सिर्फ 'मद्रास कैफे’।
सुना है अगले साल रानी मुखर्जी और आदित्य चोपड़ा की शादी के बाद आपकी और उदय चोपड़ा की शादी होने वाली है?
यह सब झूठी अफवाहें हैं। मैं सच कहती हूं कि ऐसा कुछ भी नहीं है।
                                                                                                 साभार- नेशनल दुनिया





No comments:

Post a Comment

मुल्क