Saturday 21 September 2013

आओ तुम भी डिजिटल हो जाओ


डिजिटल हैबिट्स का दीवाना यंगिस्तान

आजकल युवाओं को गैजेट मनिया नाम का रोग लग चुका है। गैजेट मनिया मतलब नई टेक्नोलाजी के गैजेट्स के प्रयोग के प्रति हद से ज्यादा पागलपन। भावी युवा पीढ़ी रोज-रोज नई तकनीकी से रूबरू हो रही है। युवा आज पहले से ज्यादा टेक सेवी होता जा रहा है। इसका कारण सिर्फ कम समय में अपनी रोजाना बढ़ रही महत्वाकांछाओं को पूरा करने की मानसिकता भर है। टीसीएस सर्वे 2०12-13 के अनुसार भारत की माडर्न युवा पीढèी अपनी पहले की पीढèी को काफी पीछे छोड़ते हुये फेसबुक और ट्वीटर, याहू, जीमेल, गूगल प्लस जैसे सोशल नेटवर्क्स को संचार साधन के रूप में उपयोग कर रही है।

14 भारतीय शहरों के लगभग 17,5०० हाईस्कूल विद्यार्थियों पर किए गए टीसीएस सर्वे यह साफ करता है कि स्मार्ट डिवाइसेज एवं ऑनलाइन एक्सेस के अभूतपूर्व स्तर ने इस पीढèी को बहुत अधिक संपर्कशील बना दिया है। इससे इनके एक-दूसरे से किए जाने वाले संचार के तरीकों में बड़ा बदलाव हो रहा है, साथ ही साथ इससे इनके शैक्षणिक एवं सामाजिक जीवन दोनो में कायापलट होने लगा है।

स्कूल से सामाजिकता की ओर बढèते कदम
चार में से लगभग तीन विद्यार्थी इंटरनेट को एक्सेस करने का मुख्य कारण स्कूल से संबंधित कार्यों को बताते हैं। इसके बाद वे इसका उपयोग अपने मित्रों के साथ चैटिंग करने/संपर्क करने के लिये करते हैं। जबकि 62 प्रतिशत ईमेल को प्राथमिकता देते हैं।

नेट के प्रयोग में बढ़ोत्तरी
लगभग 84 प्रतिशत विद्यार्थी अब घर से इंटरनेट का प्रयोग करने लगे हैं। ऑनलाइन एक्सेस प्वाइंट के रूप में साइबर कैफे के इस्तेमाल में चौंकाने वाली गिरावट देखी गयी है। माडर्न होते यूथ के लिये अपने साथियों से संपर्क करने का पहला और पसंदीदा तरीका फेसबुक जैसा सामाजिक नेटवर्क है। 92 प्रतिशत युवा इस सामाजिक मंच को प्राथमिकता देते हैं।

स्पीड को इंपार्टेंस
हाइस्कूल स्तर के प्रत्येक 1० विद्यार्थियों में से लगभग 7 के पास मोबाइल फोन है, तथा लगभग 2० प्रतिशत विद्यार्थी मोबाइल फोंस का इस्तेमाल इंटरनेट को एक्सेस करने के लिये करते हैं।
लेकिन अब टैबलेट भी पीछे नहीं है इसका इस्तेमाल भी बढ़ा है। लगभग 19 प्रतिशत युवा इस नए डिवाइस का इस्तेमाल सिर्फ फास्ट स्पीड के कारण कर रहे हैं।

कालिग के बजाय चैटिंग
भारत की शहरी युवा पीढèी वायस काल के विकल्प के रूप में अब टेक्स्टिंग और चैटिंग को अपनाने लगी है। लगभग 74 प्रतिशत युवा अधिकांश संपकरें के लिये फेसबुक का इस्तेमाल करते हैं, जबकि 54 प्रतिशत इसके लिये एसएमएस का इस्तेमाल करते हैं। जबकि वायस काल्स के मामले में सिर्फ 44 प्रतिशत युवा ही इस्तेमाल करते हैं।

टैबलेट्स की दीवानगी
माडर्न युवा पीढèी टैबलेट्स का प्रयोग करने में आगे है। इस पीढèी में इस गैजट का इस्तेमाल तेजी से बढè रहा है। इस वर्ष देश में 38 प्रतिशत युवा इस डिवाइस के यूजर बने हैं।

ब्रांड की डिमांड
इस पीढèी में ब्रांड के प्रति आकर्षण पहले की अपेक्षा अधिक बढ़ा है। शीर्ष मोबाइल/टैबलेट ब्रांड्स मेट्रो और मिनी मेट्रो दोनो शहरों के युवाओं की इच्छा के दायरे में आने लगे हैं। जहां सैमसंग (48.28 प्रतिशत), नोकिया (46.46 प्रतिशत), एप्पल (39.56 प्रतिशत) एवं एचटीसी (36.54 प्रतिशत) में प्रयोग किया जा रहा है।
आईटी में करिअर बनाने की होड़
यह पीढèी अब पहले से कहीं अधिक जागरूक है। वह अपने भविष्य की नौकरियों के प्रति बहुत स्पष्ट विचार रखती है। युवा पीढèी में आज भी आईटी एक पसंदीदा करिअर है। इसके बाद इंजीनियरिंग एवं मेडिकल का स्थान है। जबकि मीडिया/मनोरंजन शहरी युवाओं के पसंदीदा करिअर के रु प में उभरा है।

इंपार्टेंट फैक्ट्स
देश के 7० प्रतिशत विद्यार्थी स्मार्ट फोंस के मालिक
चार में से तीन छात्र इंटरनेट का उपयोग स्कूल से संबंधित कार्य के लिये करते हैं
84 प्रतिशत युवा घर से इंटरनेट को एक्सेस करते हैं
5० प्रतिशत से अधिक युवा एंड्राएड-पॅवर स्मार्ट डिवाइस का उपयोग करने लगे हैं

विश्ोषज्ञों की राय
टीसीएस के निदेशक श्री एन. चंद्रशेखरन के अनुसार 'वर्तमान समय में शहरी स्कूली विद्यार्थी स्मार्ट डिवाइसेज की उपलब्धता के साथ ऑनलाइन एक्सेस का लाभ उठाने लगे हैं। यह बहुत ही संपर्कशील पीढèी है, जो इंटरनेट की पावर का इस्तेमाल शिक्षा के साथ ही साथ सामाजिक नेटवर्क्स के साथ जुड़ने एवं सही ग्रुप्स को डेवलेप कर रही है। इससे इस पीढèी के लिये दिलचस्प कॅरियर निमार्ण के रास्ते खुल रहे हैं।




 

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