Monday 30 September 2013

सात समंदर


सात समंदर अब सात कदम दूर


आज के मॉडर्न होते इस परिवेश में हाई क्लास फैमिली हों या मीडिल क्लास फैमिली सभी अपने बच्चों को विदेश में शिक्षा के लिए भेजना चाहते हैं। और यह अब तो एक शगल बन चुका है। दरअसल, ऐसा इसलिए है क्योंकि अब विदेश में शिक्षा पाना पहले जितना कठिन नहीं रहा है। क्योंकि अब स्टूडेंट्स के लिए कई तरह की स्कॉलरशिप चलाई जा रही जिसके जरिए स्टूडेंट्स विदेश में आसानी से अपनी पढ़ाई पूरी कर सकते हैं। इसके साथ ही एजूकेशन लोन का प्रॉस्ोस भी पहले से कहीं ज्यादा आसान और सुगम हो गया है। भारत में यूं तो लगभग चार सौ से ज्यादा विश्वविद्यालय शिक्षा प्रदान करने के काम में लगे हुए हैं लेकिन जब क्वॉलिटी एजुकेशन की बात आती है तो हमारे यहां आईआईटी और आईआईएम जैसे चुनिदा संस्थान ही विश्वस्तरीय सूची में स्थान बना पाते हैं। इन्हीं वजहों से प्रतिभाशाली भारतीय छात्र अमेरिका और ब्रिटेन जैसे विकसित देशों के नामचीन शिक्षा संस्थानों में पढèने के लिए लालायित रहते हैं।

बदल रहा है ट्रेंड

देश के उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रवेश के लिए बढ़ रही प्रतियोगिता और कम सीटों की वजह से कई घराने अपने छात्रों को फॉरेन में एजूकेशन के लिए भ्ोज रहे हैं। जहां आज स्ट्रांग बैकग्राउंड के स्टूडेंट फॉरेन एजूकेशन के लिए फार्म भर रहे हैं तो वहीं लोवर बैकग्राउंड के स्टूडेंट भी अपनी काबिलियत के दम पर विदेशी यूनिवर्सिटीज में दाखिला पा रहे हैं। विश्ोषज्ञों के अनुमान के अनुसार हर साल लगभग डेढ़ लाख भारतीय छात्र विदेशों में पढ़ाई करने के लिए फॉर्म भरते हैं और इनमें से अकेले अमेरिका में ही हर साल लगभग 25 हजार छात्र पढèने जाते हैं। विदेशों में पढ़ाई के प्रति भारतीय छात्रों में काफी क्रेज है। इस साल अमेरिका में जाने वाले भारतीय छात्रों की संख्या एक लाख के आंकड़े को पार कर गई। अमेरिका पढ़ाई के लिहाज से भारतीयों का हमेशा से ही पसंदीदा स्थान है और उसके बाद ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, कनाडा, सिगापुर आदि का स्थान आता है।

विदेशी संस्थान में एंट्री

यदि आप प्रतिभावान हैं, कड़ी मेहनत कर सकते हैं और अपने को नए माहौल में ढाल सकते हैं तो विदेश में पढèने के लिए तैयार हो सकते हैं। इसके लिए आपको प्रवेश लेने से दो साल पहले तैयारी शुरू करनी होगी। इसका पहला चरण है आप जिस विषय की पढ़ाई करना चाहते हैं, उसके बारे में पता करें कि वह पढ़ाई किस देश में किस भाषा में उपलब्ध है। अमेरिका, ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया जैसे देशों में पढ़ाई अंग्रेजी माध्यम में होती है, इसलिए आपको चिता करने की जरूरत नहीं है। यदि आप चीन, रूस और जर्मनी जैसे देशों में पढèने के इच्छुक हैं तो आपको इस मसले पर ध्यानपूर्वक गौर करना पड़ेगा। विषय का चुनाव करने के बाद आपको अपनी प्राथमिकता के हिसाब से विभिन्न विश्वविद्यालयों की सूची तैयार करनी होगी। इसके लिए आप विश्वविद्यालयों के विवरण इंटरनेट पर इनके वेबसाइट से हासिल कर सकते हैं।

विदेश में पढ़ाई का आकर्षण

विदेश में पढाई और आंखों में कॉर्पोरेट वर्ल्ड का ऊंचा ओहदा, हर छात्र का सपना होता है। खासकर अमेरिका, यूके, फ्रांस, कनाडा, जापान जैसे किसी देश से पढ़ाई करने के बाद न केवल एक्सपोजर मिलता है, बल्कि बड़ी व मल्टीनेशनल कंपनियों में आसानी से नौकरी भी मिल जाती है। लेकिन विदेश में पढ़ाई करने के लिए आपको टीओईएफएल, आईईएलटीएस, जीएमएटी, जीआरई जैसे एग्जाम्स को क्वालीफाई करना इंपार्टेंट होता है।

किस देश में कौन-सा टेस्ट

यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका के शैक्षणिक संस्थानों में एडमिशन के लिए टॉफेल, जीआरई, जीमैट और एसएटी के स्कोर वैलिड हैं। वहीं दूसरी तरफ यूके के संस्थानों में एडमीशन के लिए जीसीई क्लियर करना पड़ता है। कनाडा, आयरलैंड व न्यूजीलैंड जैसे देशों में पढ़ने के लिए टॉफेल या आईईएलटीएस पर्याप्त है। आप ऑस्ट्रेलिया की तरफ रुख करने की सोच रहे हैं, तो यहां के लगभग सभी शैक्षणिक संस्थानों में आईईएलटीएस क्वालीफाई कैंडीडेट वैलिड होते हैं।
कुछ अहम जानकारियां
हालांकि यह प्रासेस जितना सरल दिखता है उतना होता नहीं। फॉरेन एजूकेशन के लिए आपका पूरी तरह से हर मायने में प्रिपेयर होना बेहद जरूरी होता है। मसलन किसी भी परिस्थित में कांफीडेंट रहना, फिजिकली और मेंटली फिट होना भी अपने आप में अहम होता है।


 

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