डिब्बे का दर्द
तुम्हारे जाने के बाद से हीखुद को डिब्बा बना लिया
उस डिब्बे में रखकर यादें सारी
मैंने खुद को डुबो लिया
अधूरा खत लगता है सब
इसकी स्याही खुद को बना दिया
बारिश में चलता हूं जब-जब
तुझमें तब-तब खुद को घुला दिया
बूंदे तो पसंद थी बेपनाह तुझे
मैने बारिश में घर बना लिया
जहां छोड़ा था तुमने उस दिन
अब वहां से हिलना ही छोड़ दिया
तुम तो जमी रही पत्थर बनके
पत्थर में लोगों ने मुझे भी घुसा दिया
आते हैं लोग फूल डालने कब्र पे तुम्हारी
भूलकर मेरी कब्र पे डालना शुरू किया
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