Sunday 6 April 2014

कंकालों का घर

कंकालों का घर रूपकुंड झील

आप एडवेंचर ट्रैकिग के शौकीन है तो रूपकुंड झील आपके लिए एक बेहतरीन जगह है। रूपकुंड झील हिमालय के ग्लेशियरों के गर्मियों में पिघलने से उत्तराखंड के पहाड़ों में बनने वाली छोटी सी झील है।
यह झील 5०29 मीटर की ऊंचाई पर स्तिथ है, जिसके चारों और ऊंचे-ऊंचे बर्फ के ग्लेशियर हैं। यहां तक पहंुचने का रास्ता बेहद दुर्गम है इसलिए यह जगह एडवेंचर ट्रैकिग करने वालों की पसंदीदा है। यह झील यहां पर मिलने वाले नरकंकालों के कारण काफी चर्चित है। यहां पर गर्मियों में बर्फ पिघलने के साथ ही कहीं पर भी नरकंकाल दिखाई देना आम बात है। यहां तक कि झील के अंदर देखने पर भी तलहटी में भी नरकंकाल पड़े दिखाई दे जाते हैं। यहां पर सबसे पहला नरकंकाल 1942 में रेंजर एच.के. मड़वाल द्बारा खोजा गया था। तब से अब तक यहां पर सैकड़ों नरकंकाल मिल चुके हैं। जिसमंे हर उम्र व लिग के कंकाल शामिल हैं। यहां पर नेशनल जियोग्राफिक टीम द्बारा भी एक अभियान चलाया गया था जिसमे उन्हें 3० से ज्यादा नरकंकाल मिले थे।
इस जगह पर इतने सारे नरकंकाल आए कैसे? इसके बारे में अलग-अलग कहानियां प्रचलित हैं। 1942 में हुए एक रिसर्च से हड्डियों के इस राज पर थोड़ी रोशनी पड़ सकती है। रिसर्च के अनुसार ट्रैकर्स का एक ग्रुप यहां हुई ओलावृष्टि में फंस गया जिसमें सभी की अचानक और दर्दनाक मौत हो गई। हड्डियों के एक्सरे और अन्य टेस्ट में पाया गया कि हड्डियों में दरारें पड़ी हुई थीं जिससे पता चलता है कि कम से कम क्रिकेट की बॉल की साइज के बराबर ओले रहे होंगे। वहां कम से कम 35 किमी. तक कोई गांव नहीं था और सिर छुपाने की कोई जगह भी नहीं थी। आंकड़ों के आधार पर माना जा सकता है कि यह घटना 85० ईसवीं के आस पास की रही होगी।
एक दूसरी किंवदंती के मुताबिक तिब्बत में 1841 में हुए युद्ध के दौरान सैनिकों का एक समूह इस मुश्किल रास्ते से गुजर रहा था। लेकिन वे रास्ता भटक गए और खो गए और कभी मिले नहीं। हालांकि यह एक फिल्मी प्लॉट जैसा लगता है पर यहां मिलने वाली हड्डियों के बारे में यह कथा भी खूब प्रचलित है।
अगर स्थानीय लोगों के मानंे तो उनके अनुसार एक बार राजा 'जसधावल’ नंदा देवी की तीर्थ यात्रा पर निकला। उसको संतान की प्राप्ति होने वाली थी इसलिए वह देवी के दर्शन करना चाहता था। स्थानीय पंडितों ने राजा को इतने भव्य समारोह के साथ देवी दर्शन जाने को मना किया। जैसा कि तय था इस तरह के जोर-शोर और दिखावे वाले समारोह से देवी नाराज हो गईं और सबको मौत के घाट उतार दिया। राजा, उसकी रानी और आने वाली संतान को सभी के साथ खत्म कर दिया गया। मिले अवशेषों में कुछ चूड़ियां और अन्य गहने मिले जिससे पता चलता है कि समूह में महिलाएं भी मौजूद थीं। तो अगर आप सुपरनेचुरल और देवी-देवताओं में विश्वास करते हैं तो इस कहानी को मान सकते हैं। अपने साथ किसी स्थानीय व्यक्ति को ले जाइए और रात के समय यह कहानी उनसे सुनिए। आपके रोंगटे जरूर खड़े हो जाएंगे।


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