मुस्कान मधुर है जो ये तेरी,
मन चंचल अदाएं शोखी से भरी,
मन चंचल अदाएं शोखी से भरी,
देख के तुझको चन्दा भी शरमाये,
चेहरा छुपा के तेरी अंखियाँ चाहे!
समझ के चन्दा की ये हरकत,
जलन सूरज शोले बरसाए,
हद तो तब ये बड़ जाती है,
जब देख के चन्दा को झरोखे से,
तू भी पल पल मुस्काती है,
देख तेरी कातिल ये हंसी,
चन्दा बोले अब तो फँसी,
सूरज मन के कोने में गुस्साता,
दांती पीसे अगले दिन का,
जल्दी से प्लान बनाता है,
इसको न आने दूंगा मैं,
और न ही इस रात को अब,
चाहें देवता कूच करे अभी के अभी,
इस धरती को सब,
तेरे नयनों की है जो ये नक्काशी,
मसगुली यम को भी कर दे बेकाशी !!
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