हाल ही बागपत जेल में कुख्यात माफिया मुन्ना बजरंगी की ताबड़तोड़ गोलियां मारकर हत्या कर दी गई। इससे पहले भी ऐसे कई मामले हो चुके हैं। जेल में हत्या हो जाना कोई नई बात नहीं है। दुनिया भर में ऐसा होता आया है। हालांकि, ऐसे मामलों के लिए मानवाधिकार आयोग और कानून बेहद सख्त है। अफ्रीका की रवांडा में रोज करीब दस कैदियों की हत्या कर दी जाती है। हालात ऐसे हैं कि मानवाधिकार आयोग और वैश्विक संगठन में ऐसा होने से नहीं रोक पा रहे हैं।
अपराधियों को दंड देने के लिए जेल में बंद करने की प्रथा जमाने पुरानी है। यूं तो दुनिया में बहुत सी जेलें ऐसी हैं जिन्हें खतरनाक माना जाता है। किन, अफ्रीका के रवांडा प्रांत के किगाली में स्थित ग्यातारामा जेल को दुनिया का नरक कहा जाता है। यहां हर दिन मौत तांडव करती है। जानकारों के मुताबिक यहां जो भी कैदी गया जिंदा अपने घर नहीं लौट सका। इस जेल मौत का रोज का आना जाना रहता है।
माना जाता है कि ग्यातारामा जेल बनने से पहले किगाली इलाके में दो जातियों के बीच वर्चस्व को लेकर लड़ाई शुरू हुई जो बाद में भयंकर हो गई। दोनों समुदायों के लोग एक-दूसरे के लोगों को मारने-काटने लगे। कई सालों तक यही हालात बने रहे। सरकार ने गृहयुद्ध के हालात काबू करने के लिए सेना को मैदान में उतार दिया। सेना ने दोनों समुदायों के खूंखार हत्यारों को कैद कर लिया। इन्हें बंद करने के लिए ग्यातारामा जेल का निर्माण कराया गया। जेल में भी दोनो समुदायों के लोग एक-दूसरे की हत्या से बाज नहीं आए। जो सिलसिला अभी भी जारी है।
जेल का माहौल इतना खतरनाक है कि यहां के कैदी अपने साथियों को ही मारकर खा जाते हैं। इसीलिए इस जेल को धरती का नरक भी कहा जाता है। क्षमता से अधिक कैदी होने के कारण यहां रात में सोने के लिए भी मारकाट करनी पड़ती है। एक हजार कैदी रखने की क्षमता वाली इस जेल में सात हजार कैदियों को बंद किया गया है। ऐसे में रात के समय बैरक में पैर रखने और खड़े रहने तक की जगह नहीं बचती है। नींद उसी को मिल पाती है जो सामने वाले को मार डालता है।
ऐसे हालात में यहां के कैदी गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं। रोजमर्रा की चीजें पाने के लिए यहां मौत का खेल खेला जाता है। आंकड़ों के मुताबिक इस जेल में हर रोज कम से कम दस कैदियों की मौत होती है। इनमें से ज्यादातर की हत्या की गई होती है। यहां कैदियों से जानवरों से भी बदतर व्यवहार किया जाता है। यहां आने वाला कैदी कभी जिंदा वापस नहीं लौटता। इन हालातों को सुधारने के लिए वैश्विक मानवाधिकार आयोग और अन्य संगठन लगातार काम कर रहे हैं लेकिन स्थितियों में सुधार नहीं हो सका है। फिर भी यहां के कैदियों में जेल से रिहा होने की उम्मीद बाकी है।
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