Monday 30 July 2018

मौत के मकां















मौत के मकां, खूब हैं यहां
देख लो देख लो खूब गौर से
आ रहे लोग यहां दूर दूर से
न है किसी को पता न किसी को खबर
कितनी रेत डाली है कितनी छोड़ी डगर
बिल्डर ने सारे नियम तोड़ डाले हैं
सीमेंट सरिया हल्की डाली, कच्चे ईंट डाले हैं
हम गए हम गए तुम भी पहुंच गए
बातों में आके बिल्डर को नोट दे दिए
सोच न सके कुछ भी सोच न सके
हमने एक लिया प्लॉट तुमने दो लिये

प्लॉट के नाम पे फ्लैट दे दिया
बुरे फंसे बुरे फंसे हमको ठग लिया
मन मसोसकर फिर रहने चले गए
मकां सजा दिए पूजा भी कर दिए
रह रहे थे हम तो खूब शान से
अपने अपने घर में जो आलीशान थे
फिर नज़र लगी किसी कि दिन काला हो गया
जोर का शोर हुआ और गुबार छा गया
चारों ओर चारों ओर हर कोई रो पड़ा
आलीशां आलीशां मकां मेरा ढह गया

मौत आई मौत आई रूह कांप गई
गृहस्थी उजड़ गई ज़िन्दगी बिखर गई
भीड़ आई लोग आए जमघट भी लग गया
देखते देखते सपना वो थम गया
कुछ मरे कुछ दबे कुछ मिले भी नहीं
देखिए आज तो रोशनी भी काली हो गई
सब बिलख बिलख गये मुलाज़िम आ गया
पांच पांच लाख का ऐलान कर गया
मौत सस्ती देख के दिल ये रो गया
हाय हाय हाय क्या से क्या हो गया
जान गई माल गया वज़ूद भी चला गया
वो देखो वो देखो बिल्डर तो हंस रहा।

- रिज़वान नूर खान

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