Thursday 10 October 2013

याद शहर



याद शहर


लंबा सफर है खर्चा होगा
इक खाता रख लो
पिछली बरसात का टूटा हुआ छाता रख लो।

मोजे दो जोड़ी रख लो
स्टेशन तक जाने वाली घोड़ी रख लो।
कुएं का पानी रख लो
कहानियों वाली नानी रख लो।

बिस्तरबंद रख लो
इक छोटा सा मसंद रख लो।
पुरानी आदतें रख लो
अंदर की जेबों में याद्दाश्तें रख लो। 

हल्दी रख लो
थोड़ा जल्दी रख लो।

अब्बू की सलाह रख लो
अम्मी की दुआएं रख लो।
निकलते वक्त हथ्ोली पे पैसे रखने वाली बुआ रख लो
दादी का प्यार रख लो।
आम का अचार रख लो
दादा की छड़ी रख लो
कमर पे लटकने वाली घड़ी रख लो।

टिकिट न हो तो बेटिकिट रख लो
मुसाफिरों की खिटखिट रख लो।
कानपुर की पुरवाई रख लो
तमाम रास्ते आती जम्हाई रख लो। 

भुसावल के केले रख लो
कनपुरिया चाट के ठेले रख लो।
लोग मिलेंगे अजीबो-गरीब
कभी आड़े रख लो
कभी टेढ़े रख लो।

थोड़ी घबड़ाहट रख लो
करीबियों की मुस्कुराहट रख लो।
कंपू को अलविदा कहने से पहले
चमनगंजी संकरी गलियां रख लो-चौड़े चौराहे रख लो।

फूलबाग की भीड़ रख लो
ठग्गू के लड्डू रख लो।
अपनी यांदे बटोर लो
जीवन का सार समेट लो
और आखिर में खुद को जिंदा रख लो।।

 

इन अल्फाजों के मालिक हेमंत चौहान हैं।

और शब्दों के बदलाव का जिम्मेवार रिजवान है।



4 comments:

  1. chal chalte safar par sab saath lekar
    apna aur kuchh yaaro kaa sath lekar
    ek yaari ki gaadi ko pakdane

    kuchh tooti yaade aur kuchh puraani baat lekar

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  2. sukriya dost.....
    vaise likhte tum bhi achha ho...

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  3. keep it up rizwan.. koi kuch rakhna bhul rha ho to please rizwan ki yaad sahr jarur padh le ..sb yaad aa jyega.

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