क्यों मनाते हैं महिला दिवस
संसार के रचयिता भगवान ब्रह्मा के बाद इसके सृजन में यदि किसी का योगदान है तो वह नारी का है। अपने जीवन को दांव पर लगाकर एक जीव को जन्म देने का साहस ईश्वर ने केवल नारी को प्रदान किया है। फिर भी इस संसार में उसकी अवहेलना होती रही है। महिलाओं के हक की खातिर हर वर्ष 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस विश्वभर में मनाया जाता है।इस दिन संपूर्ण विश्व की महिलाएं जात-पात, भाषा, राजनीतिक, सांस्कृतिक भेदभाव से परे एकजुट होकर इस दिन को मनाती हैं। आज की नारी ने स्वयं की शक्ति को पहचान लिया है और काफी हद तक अपने अधिकारों के लिए लड़ना भी सीख लिया है। आज के समय में स्त्रियों ने सिद्ध किया है कि वे एक-दूसरे की दुश्मन नहीं बल्कि सहयोगी हैं।
इतिहास के अनुसार आम महिलाओं द्बारा समान अधिकार की यह लड़ाई प्राचीन ग्रीस की 'लीसिसट्राटा’ नाम की महिला ने फ्रें च क्रांति के दौरान युद्ध समाप्ति की मांग रखते हुए आंदोलन की शुरुआत की। फारसी महिलाओं के समूह ने वरसेल्स में इस दिन एक मोर्चा निकाला। इसका उद्देश्य युद्ध के कारण महिलाओं पर बढ़ते अत्याचार को रोकना था।
पहली बार सन् 19०9 में सोशलिस्ट पार्टी ऑफ अमेरिका द्बारा पूरे अमेरिका में 28 फरवरी को महिला दिवस मनाया गया था। 191० में सोशलिस्ट इंटरनेशनल द्बारा कोपेनहेगन में महिला दिवस की स्थापना हुई। 1911 में ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विट्जरलैंड में लाखों महिलाओं ने रैली निकाली। इस रैली में मताधिकार, सरकारी नौकरी में भेदभाव खत्म करने जैसे मुद्दों की मांग उठी। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान रूसी महिलाओं द्बारा पहली बार शांति की स्थापना के लिए फरवरी
माह के अंतिम रविवार को महिला दिवस
मनाया गया। जो आगे चलकर 8 मार्च हो गया।
'महिला दिवस’ अब लगभग सभी विकसित और विकासशील देशों में मनाया जाता है। यह दिन महिलाओं को उनकी क्षमता, सामाजिक, राजनीतिक व आर्थिक तरक्की दिलाने व उन महिलाओं को याद करने का दिन है जिन्होंने महिलाओं को उनके अधिकार दिलाने के लिए अथक प्रयास किए।
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